मेंटल हेल्थ केयर (Mental Health Care) संस्थानों में रह रही महिलाओं की समस्याओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन संस्थानों में महिलाओं का सिर मूंडना, सेनिटरी नैपकीन की कमी, निजता की कमी आदि की परेशानी गंभीर चिंता वाली है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि वो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर हर महीने निगरानी करें. अदालत ने कहा कि केंद्र इसके लिए जरूरी निर्देश जारी करे ताकि ये सुनिश्चित हो कि ये समस्याएं दूर हों. सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक बीमारी से ठीक हुए लोगों के पुनर्वास गृह बनाने के लिए कदम उठाने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 6 महीने का समय दिया.
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साथ ही, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि उन्हें वृद्धाश्रम / भिक्षु गृहों में ना भेजा जाए. अदालत ने कहा है कि उन्हें इस बीच उचित सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मानसिक स्वास्थ्य रोगियों की जानकारी और बीमारी से ठीक होने वालों के विवरण, आधे घर, पुनर्वास आदि के के साथ 4 सप्ताह के भीतर ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में रहने वाले कैदियों को COVID19 के टीकाकरण के लिए समय-सीमा तय करें और 15 अक्टूबर तक टीकाकरण पर स्थिति रिपोर्ट जमा करें.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र और यूपी सरकार को फटकार लगाई है और कहा लिप सर्विस ना करें, उचित पुनर्वास गृह स्थापित करें. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच वकील गौरव बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मेंटल हेल्थ केयर संस्थानों में रह रहे मनोरोगियों (Mentally Ill Persons) का वैक्सीनेशन करने का आदेश राज्य सरकारों को दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मनोरोगियों को भिक्षु गृह में रखे जाने को लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार को फटकार लगाई.
शीर्ष अदालत ने मानसिक रोगियों को भिक्षु गृह (Beggar Homes) भेजे की प्रक्रिया तुरंत रोकने का निर्देश महाराष्ट्र सरकार को दिया. मेंटल हेल्थ सेंटर में रखे गए मानसिक रूप से बीमार मरीजों की देखभाल और पुनर्वास से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ औऱ जस्टिस एमआर शाह ने इस याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस शाह ने कहा, देश में केवल एक संस्थान Banyan tree चेन्नई में है, जो ऐसे लोगों की देखभाल करता है. जो लोग ऐसे मनोरोगों से उबर भी जाते हैं, उनके परिजन स्वस्थ होने के बाद भी उन्हें स्वीकार नहीं करते.
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याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र सरकार भिखारियों के लिए बनाए गए बेगर्स होम में इन मानसिक रोगियों को भेज रही है, जो कानून के विपरीत है. ऐसे लोगों का तुरंत वैक्सीनेशन भी किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि मरीजों को भिक्षु गृह भेजे जाने के कारण भी कई की मौत हुई है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मनोरोगियों को बेगर्स होम भेजना उल्टे नतीजों वाला साबित होगा और यह कानून के खिलाफ भी है. महाराष्ट्र सरकार इस कार्यवाही को तुरंत रोके.
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