सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय की भूमि पर कब्जा करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी समिति की याचिका पर सुनवाई की और याचिका को खारिज कर दिया. रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी की ज़मीन को कब्ज़े में लेने के यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटी पर यूपी सरकार के अधिग्रहण के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की याचिका को खारिज कर दिया है.
सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "रिकॉर्ड में स्वीकार किए गए तथ्य यह हैं कि भूमि का आवंट मंत्री के पद का स्पष्ट दुरुपयोग था. जब भूमि का आवंटन हुआ था, तब आजम खान कैबिनेट मंत्री थे. हमें हाईकोर्ट के फैसले में किसी तरह की अनियमितता नहीं दिखती है".
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. SC ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में उसे कोई खामी नज़र नहीं आती है. इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी बनाने के लिए अधिग्रहित की गई 450 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर सरकार के नियंत्रण का आदेश दिया था. इस आदेश को ट्रस्ट ने SC में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वो सुनिश्चित करें कि वहां पढ़ रहे 300 के करीब छात्रों का दाखिला दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में हो सके.