भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड यानी सेबी (Sebi) ने खुलासा किया है कि सहारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 9 साल बाद भी आधी ही रकम अभी तक जमा की है. सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2012 के आदेश के बाद सहारा समूह (Sahara Group) को 25,781 करोड़ रुपये जमा करने थे, लेकिन उसमें से उसने महज 15 हजार करोड़ रुपये ही अभी तक जमा कराए हैं. सेबी की वित्तीय वर्ष 2021 की रिपोर्ट के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नियामक ने अभी तक 129 करोड़ ही बांडधारकों को वापस किए हैं. जबकि वो 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के एस्क्रो अकाउंट का संचालन कर रहा है.
सेबी से जब सवाल किया गया कि इतनी बड़ी रकम का वो क्या कर रहा है, तो उसके चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि वो सिर्फ 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं. कंपनी को कोर्ट के आदेश के अनुसार अभी भी पूरी रकम जमा कराना बाकी है. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2012 में निवेशकों को लौटाए गए धन के अलावा जितना भी सहारा समूह को चुकाने थे, वो अभी तक नहीं पाया है. त्यागी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश कहता है कि जो भी वसूली बाकी है या भुगतान किया जाना है, उसके मिलने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि इस धनराशि का क्या करना है.
त्यागी ने ये भी कहा कि सेबी ने कई बार विज्ञापन देकर निवेशकों और बांडधारकों से आगे आकर अपना दावा पेश करने को कहा है. उन लोगों से भी जानकारी मांगी गई है, जिन्हें पहले ही उनका भुगतान मिल चुका है. सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, उसके पास मार्च 2021 तक, सहारा समूह के बांडहोल्डर्स का 23,291 करोड़ रुपये जमा है, यह पैसा एक एस्क्रो अकाउंट में रखा गया है. इसमें 15,473 करोड़ रुपये वसूला गया है और बाकी ब्याज की राशि है.
पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा था कि 30 नवंबर 2021 तक सहाराह समूह की रियल एस्टेट इकाई सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन और उसकी हाउसिंग फाइनेंस इकाई सहारा इनवेस्टमेंट कारपोरेशन, प्रमोटरों और निदेशकों ने अभी तक 15,485 करोड़ रुपये जमा किए हैं. जबकि उन्हें 25,781 करोड़ रुपये उसे मूलधन के तौर पर जमा करने हैं.
यह रकम सहारा समूह के निवेशकों और बांडधारकों को लौटाई जानी है. सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत रॉय कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर है.