काट दिए दोनों पैर पर हौसला नहीं तोड़ पाए! जानिए कौन हैं राज्य सभा जा रहे केरल के BJP नेता सदानंदन मास्टर

साल था 1994. सदानंदन मास्टर तब सिर्फ 30 साल के थे. आरोप है कि CPM के कार्यकर्ताओं ने उन्हें सरेआम घेर लिया और उन पर बर्बरता से हमला किया. वो हमला इतना भयानक था कि उनकी दोनों टांगें काट दी गईं. 

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • सदानंदन मास्टर को उनके राजनीतिक विचारों के कारण 1994 में हमलावरों ने बर्बरता से हमला कर दोनों पैर काट दिए थे.
  • कृत्रिम पैर लगाकर भी सदानंदन मास्टर ने शिक्षण कार्य जारी रखा और केरल में सामाजिक सेवा तथा हिंदुत्व प्रचार में सक्रिय हुए.
  • राष्‍ट्रपति ने उन्हें राज्‍यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके संघर्ष और जुझारूपन की प्रशंसा की,
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

'मैं श्रीमान सदानंदनजी मास्‍टर से आपका परिचय कराना चाहता हूं. इनका कोई गुनाह नहीं था, वे भारत माता की जय बोलते थे. वे देश के गरीबों के लिए अच्‍छे रास्‍ते पर चलना चाहते थे. जब उन्‍होंने अपने विचारों के अनुसार, अच्‍छे काम करना चाहा तो इनके दोनों पैर काट दिए गए. आज वो आर्टिफिशियल पैर लगाकर सेवाभाव से केरल की जनता के लिए समर्पित हैं.' इस स्‍टोरी को पढ़ते हुए आगे आप मई 2016 की वीडियो देखेंगे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कासरगोड़ में एक जनसभा के दौरान कम्‍यूनिस्‍ट विचारधारा छोड़ भाजपा में आए सदानंदन मास्‍टर का परिचय देते हैं. 

सदानंदन मास्‍टर उन चार विशेष गणमान्‍यों में से एक हैं, जिन्‍हें राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्‍यसभा का सदस्‍य मनोनीत किया है. मनोनयन के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी ने उनके जुझारूपन, संघर्ष और जीजिविषा की तारीफ की. उन्‍होंने बधाई देते हुए कहा, 'हिंसा और धमकी राष्ट्र के विकास के प्रति उनके जज्बे को रोक नहीं सकी. एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं.' 

Advertisement

मार्क्सवादी से राष्‍ट्रवादी बनने की दास्तान

सी सदानंदन मास्‍टर को लोग प्‍यार से मास्‍टर या माशाय कहते हैं. उनका जीवन कभी मार्क्सवादी विचारधारा की छाया में पला-बढ़ा था. उनका परिवार CPI(M) से गहराई से जुड़ा था. एक दिन, मलयालम के महान कवि अक्कितम की रचनाओं ने उनके भीतर एक नई चेतना जगाई. उन शब्दों ने उनके मन में राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना के बीज बो दिए, और धीरे-धीरे वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों की ओर खिंचते चले गए. ये बदलाव उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ.

Advertisement

क्‍या CPM को संघ से जुड़ना रास नहीं आया?

साल था 1994. सदानंदन मास्टर तब सिर्फ 30 साल के थे और एक स्कूल में पढ़ाते थे. उनकी यह नई वैचारिक राह उनके पुराने साथियों को रास नहीं आई. आरोप लगाया जाता है कि CPM के कार्यकर्ताओं ने उन्हें सरेआम घेर लिया और उन पर बर्बरता से हमला किया. वो हमला इतना भयानक था कि उनकी दोनों टांगें काट दी गईं. 

Advertisement

हमलावरों की क्रूरता यहीं नहीं रुकी. उन्होंने सड़क पर ही उन टांगों को इस तरह से क्षत-विक्षत कर दिया कि उन्हें फिर से जोड़ना असंभव हो जाए. उनका मकसद शायद उन्हें हमेशा के लिए खामोश कर देना था, उन्हें दर्द और लाचारी के दलदल में धकेल देना था. लेकिन सदानंदन मास्टर टूटे नहीं.

Advertisement

दोनों पैर काटे, फिर भी हौसला टूटा नहीं 

यह कहानी सिर्फ हिंसा की नहीं, बल्कि उससे भी बड़ी, अदम्य साहस और इच्छाशक्ति की है. सदानंदन मास्टर कृत्रिम पैरों के सहारे खड़े हुए, और उन्होंने न केवल अपने शिक्षण कार्य को दोबारा शुरू किया, बल्कि सेवा, सामाजिक कार्य और हिंदुत्व विचारधारा के प्रचार में पहले से कहीं ज्‍यादा सक्रिय हो गए. 

जिस कन्नूर ज़िले को CPM का गढ़ माना जाता था, जहां उनके हमलावरों का दबदबा था, वहीं वो निडर होकर खड़े रहे. उन्होंने हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की, शांति और संवाद के साथ अपनी राह बनाते चले गए. 

चुनाव नहीं जीते पर लाखों दिल जीता 

उन्होंने 2016 और 2021 में विधानसभा चुनाव लड़ा. हालांकि वे चुनावों में जीत नहीं पाए, लेकिन पार्टी और विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा कभी डगमगाई नहीं. आज वे भाजपा की केरल इकाई के उपाध्यक्ष हैं और अब राज्यसभा में उनकी मौजूदगी उनके 31 साल के इस संघर्ष की सार्वजनिक स्वीकृति है. यह उन सभी के लिए एक संदेश है, जो मानते हैं कि अन्याय के सामने झुकना नहीं चाहिए.

दो दिन पहले पीएम मोदी ने दिए थे संकेत 

राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए वरिष्ठ भाजपा नेता सी सदानंदन मास्टर ने कहा है कि पार्टी आलाकमान का फैसला और उनकी नई जिम्मेदारी का उद्देश्य 'विकसित केरलम' (विकसित केरल) के मूल उद्देश्य को साकार करना है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले एक बातचीत के दौरान नए पद का संकेत दिया था और उन्हें रविवार सुबह नामांकन के बारे में पता चला.

उन्होंने मीडिया से कहा, 'राष्ट्रीय नेतृत्व, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय, केरल में पार्टी की गतिविधियों और पहलों को मजबूत करता है. केरल में भाजपा एक नाजुक मोड़ पर है, क्योंकि दो महत्वपूर्ण चुनाव -स्थानीय निकाय और विधानसभा- नजदीक हैं. पार्टी नेतृत्व ने हाल ही में इस संबंध में एक संदेश दिया है, जिसमें 'विकसित केरलम' को अपना मुख्य उद्देश्य बताया गया है.

Featured Video Of The Day
Delhi के Navyऔर CRPF School को मिली बम होने की धमकी, मचा हड़कंप | DELHI BREAKING NEWS