सदानंदन मास्टर को उनके राजनीतिक विचारों के कारण 1994 में हमलावरों ने बर्बरता से हमला कर दोनों पैर काट दिए थे. कृत्रिम पैर लगाकर भी सदानंदन मास्टर ने शिक्षण कार्य जारी रखा और केरल में सामाजिक सेवा तथा हिंदुत्व प्रचार में सक्रिय हुए. राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके संघर्ष और जुझारूपन की प्रशंसा की,