छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विवाद के "समाधान" के बाद सचिन पायलट ने किया ट्वीट

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता संघर्ष जैसे हालात छत्तीसगढ़ में भी 2018 में कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद बने थे

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
सचिन पायलट के समर्थकों का कहना है कि कांग्रेस ने पायलट को बेहतर मौका देने का वादा पूरा नहीं किया.
नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रतिद्वंद्वी टीएस सिंह देव की डिप्टी सीएम के तौर पर नियुक्ति दिसंबर में होने वाले चुनावों से पहले कांग्रेस में शांति ला सकती है, लेकिन इस कदम ने एक बार फिर से राजस्थान में पार्टी में कलह और अनसुलझे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है.

लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव कम करने और राजस्थान चुनाव से पहले किसी तरह के नए विवाद को रोकने की कोशिश करते हुए कांग्रेस सचिन पायलट को पार्टी में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका सौंपेगी. हालांकि इस दिशा में अब तक कुछ नहीं हुआ है.

सचिन पायलट ने ट्वीट करके टीएस सिंह देव को बधाई दी. वर्ष 2021 में पायलट की बगावत ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार को खतरे में डाल दिया था. गांधी परिवार के हस्तक्षेप के बाद स्थिति संभली थी.

Advertisement

सचिन पायलट ने ट्वीट किया- "टीएस सिंह देव जी को छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं."

Advertisement

Advertisement

कांग्रेस शासित दो राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ के अलावा बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव होंगे.

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चले सत्ता संघर्ष की तरह ही छत्तीसगढ़ में भी ऐसी स्थिति 2018 में कांग्रेस के सत्ता संभालने के तुरंत बाद उभरी थी. अगस्त 2021 में सिंह देव ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया था. उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस ने उनसे वादा किया था पद के लिए रोटेशन की व्यवस्था की जाएगी. कांग्रेस के 70 में से 55 विधायकों के समर्थन के साथ भूपेश बघेल ने साफ कर दिया कि वे अपनी दावेदारी नहीं छोड़ेंगे. आखिरकार गांधी परिवार ने हस्तक्षेप किया और बघेल को सीएम पद पर बने रहने के लिए सहमति दी.

Advertisement

टीएस सिंह देव को छत्तीसगढ़ की सत्ता में दूसरे नंबर पर लाने के कांग्रेस के कल के फैसले के बाद गुरुवार को सचिन पायलट की भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए, जिन्होंने अकेले महीनों तक अभियान चलाया और अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली अपनी ही पार्टी सरकार की लगातार आलोचना की. इससे कांग्रेस को बहुत शर्मिंदा भी होना पड़ा.

बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों और राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से मुलाकात की. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रभारी एसएस रंधावा से चर्चा की.

पायलट के समर्थकों का कहना है कि अशोक गहलोत के खिलाफ 2020 की बगावत के बाद कांग्रेस ने उनके लिए बेहतर पद देने का वादा अभी तक पूरा नहीं किया है.

अशोक गहलोत ने उस समय अधिकांश कांग्रेस विधायकों का समर्थन साबित करने के लिए उनकी परेड कराई थी और अपनी सरकार पर मंडराते खतरे को प्रभावी ढंग से विफल कर दिया था. हालांकि उनका पार्टी के युवा प्रतिद्वंदी के साथ सत्ता संघर्ष जारी रहा.

पिछले साल गहलोत का समर्थन करने वाले कांग्रेस विधायकों ने इन खबरों के बीच सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी थी कि सचिन पायलट अशोक गहलोत की जगह ले सकते हैं. गहलोत तब कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में थे. संकट तब टल गया जब पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खरगे को चुना.

यह भी पढ़ें -

छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले कांग्रेस का बड़ा फैसला, टीएस सिंह देव को बनाया डिप्टी CM

सचिन पायलट का मेगा इवेंट "स्वच्छ राजनीति" का किया आह्वान, नई पार्टी को लेकर नहीं हुई कोई घोषणा

Featured Video Of The Day
Maharashtra Elections: MVA में CM की कुर्सी पर खींचतान, Sanjay Raut ने कर दिया बड़ा एलान | Exit Poll
Topics mentioned in this article