न्यू लेडी जस्टिस के स्टैच्यू पर विवाद, जानें क्यों खफा है बार एसोसिएशन

एससीबीए की कार्यकारी समिति के सदस्यों ने प्रस्ताव में कहा है कि न्याय प्रशासन में हम समान हितधारक हैं, लेकिन बदलावों को लेकर हमें नहीं बताया गया.

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सुप्रीम कोर्ट में लेडी जस्टिस की प्रतिमा पर विवाद.
दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में न्यू लेडी जस्टिस स्टैच्यू पर विवाद खड़ा (Lady Justice Statue Row) हो गया है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी इस पर नाराजगी जताई है. एक प्रस्ताव पारित कर एसोसिएशन ने कहा है कि उनसे परामर्श किए बिना स्टैच्यू में एकतरफा बदलाव किया गया है. मंगलवार को जारी किए गए प्रस्ताव में सीनियर वकील कपिल सिब्बल की अध्यक्षता वाली SCBA ने सुप्रीम कोर्ट के प्रतीक और नए स्टैच्यू में बदलाव का विरोध किया था. बदलाव यह है कि आंखों पर पट्टी बंधी लेडी जस्टिस को खुली आंखों के साथ दिखाया गया है. उनके हाथ में तलवार की जगह भारत का संविधान दिखाई दे रहा है. 

बदलाव करते वक्त हमसे सलाह नहीं ली गई

एससीबीए की कार्यकारी समिति के सदस्यों ने प्रस्ताव में कहा है कि न्याय प्रशासन में हम समान हितधारक हैं, लेकिन बदलावों को लेकर हमें नहीं बताया गया. न ही इन बदलावों के पीछे के तर्क बताए गए. उन्होंने स्टैच्यू में बदलाव को रेडिकल बताते हुए कहा है कि इसे करने से पहले उनसे सलाह ली जानी चाहिए थी. इसको एकतरफा नहीं किया जाना चाहिए था. एसोसिएशन ने  सुप्रीम कोर्ट भवन में जजेज लाइब्रेरी को म्यूजियम में बदले जाने पर भी आपत्ति जाहिर की.

न्यू लेडी जस्टिस स्टैच्यू की आंखों पर पट्टी नहीं 

सफेद रंग की न्यू लेडी जस्टिस स्टैच्यू को साड़ी पहने दिखाया गया है. उनके एक हाथ में न्याय का तराजू और दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारत का संविधान है.नई प्रतिमा का अनावरण पिछले साल किया गया था. उस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि कानून की नजर में सभी समान हैं. उन्होंने स्टैच्यू की आंखों की पट्टी हटाने के पीछे की वजह भी बताई थी.

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नए स्टैच्यू को कानून अंधा है वाली अवधारणा को खत्म करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. तराजू न्याय में संतुलन और निष्पक्षता को दर्शाता है, वहीं सजा देने की प्रतीक तलवार को संविधान से बदल दिया गया है. 

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