अदालत का डर काम कर गया...तमिलनाडु के राज्यपाल ने मंजूर किए 2 विधेयक तो सीएम स्टालिन ने कसा तंज

पिछले कुछ महीनों में डीएमके सरकार ने बार-बार आरोप लगाया कि राज्यपाल संवैधानिक प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं. इन विधेयकों को मंजूरी न देने के कारण सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

तमिलनाडु में राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है. राज्यपाल ने हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित दो महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद स्टालिन ने तंज कसते हुए कहा कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के दबाव के कारण उठाया गया. इन विधेयकों में एक ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी को नियंत्रित करने से संबंधित है, जबकि दूसरा शिक्षा क्षेत्र में सुधारों को लागू करने से जुड़ा है. ये विधेयक लंबे समय से राजभवन में लंबित थे, जिसके कारण सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार बढ़ गई थी. 

राज्य सरकार और राज्यपाल में लंबे समय से चल रहा है विवाद

पिछले कुछ महीनों में डीएमके सरकार ने बार-बार आरोप लगाया कि राज्यपाल संवैधानिक प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं. इन विधेयकों को मंजूरी न देने के कारण सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां मामला सुनवाई के लिए लंबित था. स्टालिन ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "राज्यपाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की ताकत का एहसास हो गया. अगर वह पहले ही संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते, तो यह नौबत नहीं आती." उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्यपाल का रवैया तमिलनाडु की जनता के हितों के खिलाफ था और इससे सरकार के विकास कार्यों में देरी हुई.

राज्यपाल के कार्यालय ने क्या कहा?

दूसरी ओर, राज्यपाल के कार्यालय ने दावा किया कि विधेयकों की मंजूरी से पहले उनकी गहन समीक्षा की गई थी. कार्यालय के एक बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने विधेयकों को संवैधानिक दायरे में जांचने के बाद ही स्वीकृति दी. हालांकि, डीएमके और अन्य विपक्षी दलों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से बचने की रणनीति थी.विपक्षी नेता और डीएमके समर्थकों ने इसे जनता की जीत करार दिया, जबकि बीजेपी ने राज्यपाल के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन किया.

Advertisement

इस घटना ने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के बंटवारे पर एक नई बहस छेड़ दी है. तमिलनाडु में डीएमके और बीजेपी के बीच पहले से ही वैचारिक मतभेद रहे हैं, और यह विवाद उस तनाव को और बढ़ाने वाला साबित हुआ है. ऑनलाइन सट्टेबाजी विधेयक को लेकर विशेष रूप से चर्चा रही है, क्योंकि यह राज्य में तेजी से बढ़ते डिजिटल सट्टेबाजी के मामलों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दूसरा विधेयक शिक्षा क्षेत्र में सुधारों से संबंधित है, जिसके तहत विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने का लक्ष्य है.

Advertisement

ये भी पढ़ें-: अयोध्या में ऐतिहासिक घड़ी : राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की भव्य तैयारी, यहां जानिए पूरा Timeline

Advertisement
Featured Video Of The Day
Lucknow: 3 साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोपी Police Encounter में ढेर, 1 लाख रुपये का था इनामी
Topics mentioned in this article