कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा (Priyanka Gandhi Vadra) और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) की मुलाक़ात के बाद कांग्रेस और रालोद के संभावित गठबंधन की अटकलों को समाजवादी पार्टी और रालोद ने ख़ारिज कर दिया है. उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी की एक मुलाकात के निहितार्थ निकाले जाने लगे, लेकिन सपा और रालोद नेताओं ने दावा किया है कि रालोद का गठबंधन सपा के साथ ही होगा.
प्रियंका रविवार को गोरखपुर में प्रतिज्ञा रैली के बाद दिल्ली जाने के लिए लखनऊ के चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पहुंची और उसी दौरान रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भी दिल्ली जाने के लिए वहां पहुंचे. दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई और दोनों एक ही विमान से दिल्ली रवाना हुए. इस मुलाकात के बाद राजनीतिक हलकों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और रालोद में गठबंधन के कयास लगने शुरू हो गये.
इस संदर्भ में रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वह शिष्टाचार भेंट थी, हवाई अड्डे पर हम भी थे, चुनाव घोषणा पत्र जारी करने के बाद हम वहां पहुंचे थे. हम लोग वहां बैठे रहे, चाट आ गई, सबने खायी और शिष्टाचार बातचीत हुई. हम लोगों (रालोद) का 2019 से ही सपा से गठबंधन है और बातचीत अब सीटों (के बंटवारे) पर चल रही है.
इधर, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी और रालोद के बीच गठबंधन मुकम्मल है और उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाना है.
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गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. उस वक्त कांग्रेस ने 114 तथा सपा ने 311 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. सपा को 47 और कांग्रेस को सात सीटों पर जीत मिली थी. 403 सदस्यीय विधानसभा में कुछ सीटों पर कांग्रेस और सपा दोनों ने अपने उम्मीदवार दिये थे. 2017 में राष्ट्रीय लोकदल ने 277 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया था. अजित सिंह के निधन के बाद रालोद का नेतृत्व उनके पुत्र जयंत चौधरी संभाल रहे हैं. पार्टी पहली बार जयंत की अगुवाई में कोई विधानसभा चुनाव लड़ रही है.
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