"क्या चाहते हैं आप? संसद को गूंगी गुड़िया में तब्दील कर दें": 'असंसदीय शब्द' विवाद पर बोले मनोज झा

उन्होंने कहा कि क्या चाहते हैं आप? संसद को गूंगी गुड़िया में तब्दील कर दें. साथ ही मनोज झा ने सवाल उठाया कि यह निर्णय कौन ले रहा है, उन्होंने कहा कि इसे मैं सिर्फ सेक्रेटरी जनरल का निर्णय नहीं मानता हूं, इसके पीछे वो मानसिकता है जो लोकतंत्र के लिए घातक है.

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मनोज कुमार झा.

नई दिल्ली:

राज्यसभा सचिवालय के एक नए सर्कुलर में ये कहा गया है कि संसद (Parliament) भवन के परिसर में अब प्रदर्शन, विरोध, धरना, अनशन या धार्मिक समारोह आयोजित नहीं किए जा सकेंगे. धरना या विरोध पर सर्कुलर संसद में कुछ शब्दों के इस्तेमाल पर बैन के आदेश पर विपक्ष की नाराजगी के बीच आया है. वहीं शब्दों के बैन मामले पर राजद नेता मनोज कुमार झा (Manoj Kumar Jha) ने कहा है कि जिस किसी ने भी सरकार को ये सलाह दी है, वह सरकार और लोकतंत्र का कतई भला नहीं चाहता है. उन्होंने कहा कि कोई भी फैसला जो लोकतंत्र से हमारा फासला बढ़ता है, वो लोकतंत्र को जमींदोज करने की कोशिश होती है, यह कोशिशें कामयाब नहीं होगी. 

मनोज कुमार झा ने कहा, "आजादी के 75 वें वर्ष में जो भी ऐसी चीजें लेकर आ रहे हैं कि वो संभवतः समझते हैं कि इन शब्दों के प्रयोग को रोककर आप विपक्ष और आम आदमी के विरोध के स्वर और तेवर को कुंद कर सकते हैं, खत्म कर सकते हैं. विरोध शब्द नहीं ढूंढता है, वो भाव है. इसलिए मेरा पीठासीन पदाधिकारियों से आग्रह है कि यह अलोकतांत्रिक फैसला न होने दें". उन्होंने कहा, "कोई भी फैसला जो लोकतंत्र से हमारा फासला बढ़ता है, वो लोकतंत्र को जमींदोज करने की कोशिश होती है, यह कोशिशें कामयाब नहीं होगी". 

स्पीकर के शब्दों को बैन करने को रुटीन बताने पर झा ने कहा कि सत्तासीन दल की यह कार्यशैली है कि यह ठहरे हुए पानी में कंकर मारकर देखते हैं कि लहर कितनी बनती है, अगर उन्हें लगता है कि प्रतिक्रिया और प्रतिरोध पूरे देश में होता है तो यह इस तरह के बयान देते हैं कि यह रुटीन है.  

उन्होंने कहा कि परिपक्व लोकतंत्र में इस तरह के निर्देशों की कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे सरकार कमजोर और डरी हुई दिखाई देती है, अगर वो ऐसा चाहते हैं तो ये उन्हें मुबारक हो. 

उन्होंने कहा, "आप एक परिपक्व लोकतंत्र को बौने लोकतत्र में तब्दील कर रहे हैं, यह सामूहिक चिंता का विषय होना चाहिए". 

झा ने कहा कि हम अपना विरोध दर्ज करने के लिए गांधी प्रतिमा के पास जाया करते थे. उन्होंने कहा कि हर व्यवस्था जो सदन के लोगों को मिली हुई है, उसे एक एक कर छीन रहे हैं. उन्होंने कहा, "क्या चाहते हैं आप? संसद को गूंगी गुड़िया में तब्दील कर दें. एक ऐसा संस्थान जिसमें लोग अपने भाव प्रकट नहीं कर सकते". 

साथ ही मनोज झा ने सवाल उठाया कि यह निर्णय कौन ले रहा है, उन्होंने कहा कि इसे मैं सिर्फ सेक्रेटरी जनरल का निर्णय नहीं मानता हूं, इसके पीछे वो मानसिकता है जो लोकतंत्र के लिए घातक है, हानिकारक है. ऐसी मानसिकता की तब्दीली फौरी तौर पर प्राथमिकता में होनी चाहिए. 

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मनोज झा ने कहा कि मैं हेट स्पीच को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आ रहा हूं. उन्होंने कहा कि विडंबना है कि इस देश में हेट स्पीच देने वालों की प्रशंसा की जाती है और इसे उजागर करने वाला जेल की सलाखों के भीतर होता है. बहुत सारे सवाल हैं. उन्होंने कहा कि संसद में बहुमत का मतलब ये नहीं है कि आप संसदीय लोकतंत्र को ध्वस्त करके रख दें. 

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