RGI ने NRC के बचे कार्य के लिए 31 मार्च के बाद वित्तीय सहायता देने से इनकार किया

असम सरकार ने चार मार्च को लिखे पत्र में एनआरसी (NRC) के लंबित कार्यों को 31 मार्च के बाद पूरा करने के लिए पूर्व में पूरी परियोजना के लिए आवंटित 1,602.66 करोड़ रुपये के अलावा अतिरिक्त 3.22 करोड़ रुपये प्रतिमाह जारी करने का अनुरोध किया था.

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गुवाहाटी:

भारत के महापंजीयक (RGI) ने असम सरकार के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है जिसमें राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (NRC) के बचे हुए कार्य के लिए 31 मार्च के बाद भी वित्तीय मदद जारी रखने की बात की गई थी. आरजीआई कार्यालय ने प्रक्रिया पूरी करने में हुई ‘अत्यंत देरी' पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा है. इसमें ‘ अतिरिक्त कर्मचारियों' की सेवाओं को समाप्त कर कार्य सरकारी कर्मचारियों के हवाले करने एवं एनआरसी (NRC) कार्यालय को सरकारी इमारत में स्थानांतरित करने की सलाह दी गई है. असम सरकार ने चार मार्च को लिखे पत्र में एनआरसी (NRC) के लंबित कार्यों को 31 मार्च के बाद पूरा करने के लिए पूर्व में पूरी परियोजना के लिए आवंटित 1,602.66 करोड़ रुपये के अलावा अतिरिक्त 3.22 करोड़ रुपये प्रतिमाह जारी करने का अनुरोध किया था.

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इसके जवाब में आरजीआई (RGI) के संयुक्त निदेशक जसपाल सिंह ने 23 मार्च को असम सरकार के सचिव (गृह एवं राजनीतिक मामले) एस आर भुइयां को लिखे पत्र में कहा, ‘‘एनआरसी (NRC) से जुड़ी सभी गतिविधियों को निर्धारित बजट में ही 31 मार्च 2021 तक पूरा किया जाए और योजना के तहत 31 मार्च 2021 के बाद खर्च के लिए अतिरिक्त कोष का प्रावधापन नहीं है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ कार्य को पूर्ण करने पर आने वाले खर्च में वृद्धि एवं देरी की वजह का जिक्र भी प्रस्ताव में नहीं है. एनआरसी (NRC) की विभिन्न गतविधियों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने की जरूरत का मूल्यांकन किया जा सकता है.'' पत्र में कहा गया कि 31 मार्च 2021 के बाद हर महीने 3.22 करोड़ रुपये प्रति महीने की मांग ‘बहुत अधिक लगती' है.

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उल्लेखनीय है कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 31 दिसंबर 2019 को प्रक्रिया पर आने वाले खर्च को संशोधित कर 1,602.66 करोड़ करने के साथ यह शर्त रखी थी कि 31 मार्च 2021 तक प्रक्रिया पूरी की जाए और अब इस राशि में कोई संशोधन नहीं किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि असम के नागरिकों की तैयार अंतिम सूची 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी जिसमें 31,121,004 लोगों को शामिल किया गया था जबकि 19,06,657 लोगों को इसके योग्य नहीं माना गया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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