रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन शिमला ने हड़ताल लिया वापस, अब ड्यूटी पर लौटेंगे डॉक्टर्स

डॉक्टरों का आरोप था कि जांच में दोनों पक्षों को दोषी पाया गया था, लेकिन कार्रवाई केवल डॉक्टर पर की गई, जो पूरी तरह एकतरफा था.

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  • शिमला के आईजीएमसी में डॉक्टर-मरीज की मारपीट के मामले में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अब हड़ताल वापस ले लिया है
  • तीन हजार से अधिक डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रदेश के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं
  • डॉक्टरों ने कार्रवाई को एकतरफा बताया था और उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने की मांग की थी
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शिमला:

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के आईजीएमसी में डॉक्टर-मरीज मारपीट के बाद हड़ताल पर गए रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी स्ट्राइक वापस ले ली है. रविवार को हड़ताल का तीसरा दिन था. प्रदेश के तीन हजार से ज्यादा डॉक्टर स्ट्रॉइक पर थे, जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई थी. वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी डॉक्टरों से ड्यूटी जॉइन करने की अपील की थी.

बयान में कहा गया, "हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा 28/12/2025 को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन को उक्त मामले की विस्तृत जांच शुरू करने और डॉ. राघव नरूला की बर्खास्तगी रद्द करने के आश्वासन के अनुसार, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला, हिमाचल प्रदेश के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी माननीय मुख्यमंत्री के वचन पर विश्वास करते हुए, जनहित में तत्काल प्रभाव से आईजीएमसी शिमला के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस लेते हैं."

रेजिडेंट डॉक्टर आईजीएमसी (IGMC) शिमला में मरीज से हुई मारपीट की घटना के बाद बर्खास्त किए गए डॉक्टर राघव निरुला की बहाली की मांग पर अड़े हुए थे. इस हड़ताल के कारण प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई थी. हड़ताल के चलते कई ऑपरेशन भी टल गए थे.

गौरतलब है कि डॉक्टर राघव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर शुक्रवार से ही अवकाश पर चले गए थे और शनिवार से उन्होंने पूर्ण हड़ताल शुरू कर दी. रविवार को तीसरे दिन भी डॉक्टर स्ट्राइक कर प्रदर्शन कर रहे थे.

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22 दिसंबर को आईजीएमसी शिमला में एक मरीज और डॉक्टर के बीच मारपीट हो गई थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई थी और कमेटी की रिपोर्ट के बाद सरकार ने संबंधित डॉक्टर की सेवा समाप्त कर दी थी.

डॉक्टरों का आरोप था कि जांच में दोनों पक्षों को दोषी पाया गया था, लेकिन कार्रवाई केवल डॉक्टर पर की गई, जो पूरी तरह एकतरफा था. उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बावजूद टर्मिनेशन वापस नहीं लिए जाने से डॉक्टरों में असंतोष बना रहा और वे हड़ताल पर चले गए.

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