प्रमोशन में आरक्षण मामला: SC ने प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता संबंधी डेटा पेश करने के केंद्र को दिए निर्देश

सार्वजनिक रोजगार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए  SC की बेंच  ने कहा कि वह  एक विवादास्पद मुद्दे पर फैसला करेगा कि आरक्षण अनुपात पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर होना चाहिए या नहीं.

विज्ञापन
Read Time: 28 mins
प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी
नई दिल्‍ली:

प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से डेटा मांगा कि जिसमें दिखाया गया हो कि पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने का निर्णय प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता को लेकर मात्रात्मक डेटा पर आधारित था. SC ने इसके साथ ही केंद्र से पूछा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 2006 में नागराज मामले में संविधान पीठ के फैसले के अनुसार प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता का पता लगाने के लिए उसने क्या अभ्यास किया ? सार्वजनिक रोजगार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए  SC की बेंच  ने कहा कि वह  एक विवादास्पद मुद्दे पर फैसला करेगा कि आरक्षण अनुपात पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर होना चाहिए या नहीं.सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम जो सवाल पूछ रहे हैं वह यह है कि प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का पता लगाने के लिए नागराज के बाद क्या अभ्यास किया गया है. यदि हम आरक्षण की पर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए जनसंख्या से जाते हैं, तो इसकी बड़ी खामियां हो सकती हैं. केंद्र को इस पर विवेक लगाना चाहिए थापर्याप्तता का क्या मतलब है?'अदालत ने पूछा है कि आखिर इतने दिनों तक सरकारी नौकरियों में ये व्यवस्था क्यों लंबित रखी गई? कोर्ट ने पूछा कि आपके पास इस बाबत क्या आंकड़े हैं? दिनभर चली सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी 

याचिकाकर्ता  ने कोर्ट के सामने इंदिरा साहनी मामले का हवाला दिया. उनकी दलील थी कि उस फैसले के बाद भी अब तक अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था सुचारू तौर पर नहीं हो पाई है. जस्टिस एलएन राव ने कहा कि आरक्षण व्यवस्था को लेकर नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2006 में आया था.अब तक उस पर अमल के लिए सरकार ने क्या किया? अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उस फैसले के मुताबिक बदलाव की बात कही तो कोर्ट ने फिर टोका कि ये बदलाव तो 2017 में किए गए! 2006 से 2017 तक क्यों कुछ नहीं किया गया?इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट के एक जजमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ही स्टेटस को यानी यथास्थिति बहाल कर रखी थी ताकोर्ट ने फिर पूछा हमने आरक्षण पर रोक लगाई तो आपने प्रमोशन पर कब रोक लगाई! 

AG ने कहा कि प्रमोशन तो रोस्टर आधारित था जिसमें DoPT  के नियमों के तहत 15 फीसद से ज्यादा को तरक्की नहीं दी जा सकती.इस वजह से हजार से ज्यादा पदों पर नियमित और तरक्की से भर्ती नहीं हो पाई .जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि डाटा के आधार पर हम टेस्ट केस के तौर पर परीक्षण करेंगे कि कैडर वार समुचित तौर पर इसे अमली जामा कैसे पहनाया जा सकता है. ASG बलबीर सिंह ने कहा कि 1997 में DoPT ने एक ऑफिशियल मेमोरेंडम जारी कर वेकेंसी आधारित आरक्षण को पोस्ट आधारित आरक्षण में तब्दील कर दिया था. उस तरीके से पता चलता था कि खाली पदों पर भर्ती कैसे होगी. इस तरह गणितीय आधार पर 15 और साढ़े सात फीसदी के तर्ज पर पद भरे जा रहे थे. पीठ ने कहा कि रोस्टर पदों की संख्या के आधार पर हों ये एक मानदंड हो सकता है लेकिन दुर्भाग्य से इसके भी आंकड़े नहीं हैं.हम तो ये जानना चाहते हैं कि आपने किस आधार पर रिजर्वेशन की व्यवस्था रखी है, उसे तथ्यपरक और तार्किक तौर पर हमें समझाएं. AG ने कहा कि कई तरह के अदालती फैसलों में भी अंतर्विरोध है. सबसे पहले 1995 में आया फैसला जिसके बाद से हर साल ऊंचे पदों पर अनुसूचित जाति और जनजातियों के उम्मीदवार और दावेदारों की संख्या लगातार काम होती गई जबकि निचले पदों पर श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए संख्या बहुत रहती थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि यही तो तय करना है कि प्रमोशन में आरक्षण अनुपातिक आधार पर हो या एकबार समुचित आधार पर और फिर सबके लिए बराबर. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि इस बाबत उपलब्ध आंकड़ों के चार्ट तैयार करा कर कोर्ट को दें ताकि स्थिति साफ हो सके.

Advertisement

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो देश भर में नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मामलों की 5 अक्‍टूबर से अंतिम सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर राज्य के अपने अनूठे मुद्दे हैं इसलिए राज्यवार मामलों की सुनवाई होगी.सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे राज्यों के लिए अनूठे मुद्दों की पहचान करें और दो हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करें. दरअसल केंद्र और राज्यों ने पदोन्नति नीति में आरक्षण से संबंधित मामलों पर तत्काल सुनवाई की मांग की है.उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की वजह ये लाखों पदों पर नियुक्तियां रुकी पड़ी हैं.हाईकोर्ट के परस्पर विरोधी आदेशों के कारण कई पद रिक्त पड़े हैं. इसलिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व और पिछड़ेपन को मापने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की आवश्यकता है.राज्यों ने कहा है कि केंद्र सरकार के स्तर पर नियमित पदों के लिए पदोन्नति हुई थी, लेकिन देश भर में आरक्षित पदों पर पदोन्नति 2017 से अटकी हुई है. 

Advertisement

दरअसल  जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस  बीआर गवई की बेंच पदोन्नति में आरक्षण नीति को लेकर लगभग 133 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.पीठ ने साफ कर दिया है कि वो पिछले फैसले में पहले से तय किए गए मुद्दों को फिर से नहीं खोलेगी. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण नीति कैसे लागू हो ये बताने की जरूरत नहीं है.नागराज फैसले में निर्देश पारित किया गया है कि प्रत्येक राज्य को अंतिम रूप देना है कि वे इसे कैसे लागू करेंगे. वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने SC को बताया था कि महाराष्ट्र सरकार ने अब "प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता" पर निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया है. सवाल यह है कि यह पहले क्यों नहीं किया गया.वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था इस मामले में होईकोर्ट भी हस्तक्षेप कर रहे हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को जल्द इस मामले का निपटारा करना चाहिए. प्रोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमें बहुत सी याचिकाएं एक साथ सुनवाई के लिए संलग्न हैं.एम नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि सरकार को प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने होंगे.

Advertisement

- - ये भी पढ़ें - -
* 'किसी की भी आत्मा को झकझोर देगा'- लखीमपुर का वायरल वीडियो शेयर कर बोलेसांसद वरुण गांधी
* रेप पीड़िता की पहचान उजागर का मामला : हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से किया इनकार
* 'शाहरुख के दर्द में मजे लेने वालों से घृणा...' : आर्यन खान की गिरफ्तारी पर शशि थरूर की नसीहत

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi NCR Air Pollution: दिल्ली बनी गैस चैंबर, Borders पर सख्ती, देखिए क्या है Ground Zero पर हाल
Topics mentioned in this article