मेडिकल NEET दाखिले में EWS कोटा पर केंद्र को राहत, मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणियों को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह मेरिट के आधार पर हाईकोर्ट के निर्देश को रद्द नहीं कर रहा है. बल्कि इस आधार पर किया है कि डीएमके द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका का फैसला करते हुए हाईकोर्ट को ये आदेश पारित नहीं करना चाहिए था.

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सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह मेरिट के आधार पर हाईकोर्ट के निर्देश को रद्द नहीं कर रहा है.
नई दिल्ली:

मेडिकल नीट (NEET) दाखिले में ईडब्लूएस (EWS) कोटा पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्लूएस (EWS) कोटा लागू करने से पहले शीर्ष अदालत की मंजूरी लेने की मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणियों को रद्द कर दिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह मेरिट के आधार पर हाईकोर्ट के निर्देश को रद्द नहीं कर रहा है. बल्कि इस आधार पर किया है कि डीएमके द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका का फैसला करते हुए हाईकोर्ट को ये आदेश पारित नहीं करना चाहिए था. वहीं, केंद्र की ओर से मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कोर्ट अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए कहा था.

हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि मेडिकल कॉलेज में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिया गया 10 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण की अनुमति केवल सुप्रीम कोर्ट फैसले के अधीन ही दी जा सकती है. केंद्र के खिलाफ तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने अपना आदेश जारी किया था. इसके बाद तीन सितंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. बता दें, मद्रास हाईकोर्ट ने 25 अगस्त को को केंद्र द्वारा जारी उस अधिसूचना को मंजूरी दे दी, जिसमें मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय कोटे (एआईक्यू) के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था.

वहीं, मेडिकल नीट (NEET) और डेंटल कोर्स के लिए अखिल भारतीय कोटे में ओबीसी के लिए 27 फीसदी और ईडब्लूएस के लिए 10 फीसदी सीटों की नई आरक्षण नीति के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 6 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा. याचिकाकर्ताओं को भी लिखित नोट दाखिल करने को कहा. सात अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी. इससे पहले 6 सितंबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि इसकी जांच करनी होगी. दरअसल, जुलाई में केंद्र सरकार ने मेडिकल दाखिलों के लिए ओबीसी के लिए 27 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (10 फीसदी के लिए आरक्षण लागू किया है. यानी अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में ओबीसी स्टूडेंट्स को 27 फीसदी और इकॉनोमिक्ली वीकर सेक्शन के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा. केंद्र सरकार के ऐलान के बाद नई आरक्षण नीति इस साल से ही लागू हो गई है. इसी नीति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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