- सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से रेप मामले में आसाराम को मिली छह महीने की जमानत बरकरार रखने का निर्णय दिया है.
- कोर्ट ने आसाराम की जमानत रद्द करने की याचिका में दखल से इंकार किया और हाई कोर्ट से शीघ्र सुनवाई के लिए कहा.
- पीड़िता की वकील ने आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति को संदिग्ध बताते हुए जमानत समाप्त करने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से रेप मामले में आसाराम को मिली राहत को बरकरार रखा है. इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट से आसाराम को मिली 6 महीने की जमानत बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत रद्द करने की अर्जी पर दखल देने से इनकार किया है और हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वो शीघ्रता से सुनवाई पूरी कर तीन महीने में मामले का निपटारा करे.
सुप्रीम कोर्ट में आसाराम की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर उसके वकील ने कहा कि वो लाचारी की हालत में है, उन्हें शौच और मूत्र विसर्जन में भी सहायता की जरूरत पड़ती है. साथ ही उन्होंने कहा कि वो वैजिटेटिव स्टेट में है.
याचिकाकर्ता की वकील ने किया विरोध
कोर्ट के समक्ष पीड़ित याचिकाकर्ता की वकील शोभा गुप्ता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आसाराम के बारे में जैसा बताया जा रहा है वैसा नहीं है. वो ठीक है, लिहाजा इलाज के नाम पर उसकी जमानत पर रिहाई खत्म करनी चाहिए.
राजस्थान हाई कोर्ट ने 29 अक्टूबर को आसाराम को 6 महीने की जमानत दी थी. इसके बाद 6 नवंबर को गुजरात हाई कोर्ट से भी 6 महीने की अंतरिम जमानत मिल गई थी. गुजरात हाई कोर्ट में आसाराम की ओर से जमानत याचिका को लेकर दलील दी गई कि जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को 6 महीने के लिए जमानत दी है और वे हृदय संबंधी रोग से पीड़ित हैं.
आसाराम को आजीवन कारावास की सजा
आसाराम आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसे 12 साल जेल में रहने के बाद पहली बार सात जनवरी 2025 को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे फिर जुलाई और उसके बाद अगस्त में भी बढ़ाया गया. पीठ ने 27 अगस्त को अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की उसकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने 30 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया था.














