भारत और सऊदी अरब ने सोमवार को राष्ट्रों से अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को खारिज करने और आतंकवादी कृत्यों के लिए मिसाइल और ड्रोन सहित हथियारों तक पहुंच को रोकने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान की सह-अध्यक्षता में भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में सुरक्षा एवं स्थिरता और एक समावेशी सरकार के गठन के महत्व पर जोर दिया, जो अफगान लोगों के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हो.
दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान को आतंकवादी और चरमपंथी समूहों के लिए एक मंच या सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल नहीं करने देने पर भी जोर दिया.
संयुक्त बयान के मुताबिक, आतंकवाद और इसके वित्तपोषण से निपटने के क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद किसी भी रूप में मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है.
संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि किसी भी कारण से आतंक के किसी भी कृत्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को खारिज किया.''
मोदी और बिन सलमान ने सभी देशों से अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को खारिज करने, आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और आतंकवाद के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान किया.
बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने दोनों मित्र देशों में सुरक्षा और स्थिरता हासिल करने के लिए सहयोग बढ़ाने की अपनी इच्छा दोहराई.
संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच सहयोग को और बढ़ाने के महत्व पर भी जोर दिया.''
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