लाल भिंडी (Red Ladyfinger ) का स्वाद क्या आपने चखा है. ज्यादातर लोग अपने घरों में हरी भिंडी खाते हैं. लाल भिंडी देखने और सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. बता दें कि भोपाल के खजूरीकलां गांव में उगी लाल भिंडी आजकल सबकी जुबान पर है. यहीं के एक किसान मिश्रीलाल राजपूत कुछ समय पहले बनारस के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च सेंटर में गए थे. इसी दौरान उन्हें लाल भिंडी के बारे में पता चला और उन्होंने अपने खेत में लाल भिंडी उगाकर भी दिखा दी. वैसे लाल भिंडी यूरोपीय देशों की फसल है, लेकिन अब ये भारत में भी उगने लगी है.
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने इसकी देशी किस्म काशी लालिमा तैयार की है. ये किस्म आसानी से तैयार नहीं हुई, इसे तैयार करने में 8 से 10 साल का समय लगा. भोपाल के किसान मिश्रीलाल वाराणसी से 2400 रुपये में 1 किलो लाल भिंडी का बीज लेकर आए और इसी साल जुलाई के पहले हफ्ते में उन्होंने ये बीज बाए. फिर क्या था, फसल आनी शुरू हुई तो आसपास के किसानों के लिए ये कौतूहर का विषय बन गया. क्योंकि यहां के लोगों ने पहली बार लाल भिंडी देखी थी. बता दें कि हरी भिंडी की तुलना में इस भिंडी की फसल 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है. एक पौधे में करीब 50 भिंडी तक पैदा हो जाती है. एक एकड़ जमीन में 40 से 50 क्विंटल लाल भिंडी का उत्पादन हो सकता है. मौसम अच्छा रहा तो ये उत्पादन बढ़कर 80 क्विंटल तक हो सकता है.
किसान मिश्रीलाल राजपूत ने बताया कि ये भिंडी वो सामान्य बाजार में नहीं बेंचेगे. ये भिंडी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है तो बड़े मॉल्स और सुपरमार्केट में बेचेंगे. उन्होंने बताया कि बाजार में इसकी कीमत 350 से 400 रुपये में 250 से 500 ग्राम है. एक किलो भिंडी की कीमत 800 रुपये है.
सबसे अच्छी बात इस फसल की ये है कि इसमें मच्छर या अन्य कीड़े नहीं लगते, क्योंकि इसका रंग लाल है. हरे रंग की सब्जियों में क्लोरोफिल पाया जाता है, जो कीटों को पसंद होता है. यही वजह है कि इस लाल भिंडी में कीट नहीं लगते. दूसरी खासियत ये हैं कि इसमें एंथोसाइनिन नाम का एक खास तत्व होता है, जो गर्भवती महिलाओं, चमकदार स्किन और बच्चों के मानसिक विकास के लिए उपयोगी है. यही नहीं लाल भिंडी से हृदय रोग, डायबिटीज और कोलेस्ट्रोल की परेशानियां भी कम होती हैं.