- आरोपी लगातार अपने बयानों से अन्य आरोपियों और उनकी गतिविधियों का खुलासा कर रहे हैं.
- दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने मेवात में दुकानों की वीडियोग्राफी कर जम्मू कश्मीर पुलिस को भेजी है.
- टेरर मॉड्यूल के पीछे इरफान का दिमाग था, जो छात्रों को वीडियो दिखाकर बरगलाता था.
लाल किला ब्लास्ट केस में पकड़े गए आरोपी एक के बाद एक राज उगल रहे हैं. उनके बयानों के मिलान करने और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए सुरक्षा एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं. इसी कड़ी में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने बुधवार को मेवात में छापेमारी की. आरोपी मुज्जमिल की निशानदेही पर मेवात के नूंह में उन दुकानदारों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां से मुज्जमिल और उसके बाकी साथियों ने फर्टिलाइजर खरीदे, जिससे भारी तादाद में अमोनियम नाइट्रेट बनाया गया. मेवात के इस भीड़भाड़ वाले बाजार में ज्यादातर फर्टिलाइजर की शॉप्स हैं. इसलिए स्पेशल सेल ने वहां की वीडियोग्राफी कर जम्मू कश्मीर पुलिस को भेजी, ताकि तमाम फर्टिलाइजर की शॉप्स को डॉक्टर मुजम्मिल को दिखाकर उन शॉप्स को चिन्हित किया जाए, जहां से यह खरीदा गया है.
टेरर मॉड्यूल के पीछे इरफान का दिमाग
सूत्रों का कहना है कि टेरर मॉड्यूल के पीछे इरफान का ही दिमाग था. जैश ए मोहम्मद से जुड़ा इरफान छात्रों को वीडियो दिखाकर बरगलाता था. वो VOIP कॉल के जरिये अफगानिस्तान में बैठे आकाओं से संपर्क में भी रहता था.
इरफान के इशारे पर डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर इसी नेटवर्क को आगे बढ़ा रहे थे. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली धमाके के बाद फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल के बेनकाब होने के बाद घबराहट में डॉक्टर उमर ने धमाके को अंजाम दिया था. लखनऊ की डॉ. शाहीन सईद इस आतंकी मॉड्यूल की फाइनेंसर बताई जा रही है.
अल फलाह यूनिवर्सिटी कनेक्शन
आतंकी नेटवर्क में शामिल डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर नबी और डॉ. शाहीन का कनेक्शन अल फलाह यूनिवर्सिटी है. एक फरार डॉक्टर नासिर भी कश्मीर में जिहादी गतिविधियों के कारण बर्खास्त किया गया था, लेकिन उसे भी अल फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई. डॉ. उमर भी अनुशासनहीनता के आरोप में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से बर्खास्त हुआ था, लेकिन उसे भी अल फलाह में नौकरी मिल गई.













