लद्दाख में जारी तनातनी के बीच टेरिटोरियल आर्मी में पांच चीनी भाषा के जानकारों की भर्ती

टीए में केवल मंदारिन के जानकार की नही बल्कि साइबर एक्सपर्ट की भर्ती की जा रही है ताकि आने वाले नई चुनौतियों से निपटा जा सके.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रादेशिक सेना यानि कि टेरिटोरियल आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में पिछले तीन साल से जारी तनातनी के बीच पांच चीनी भाषा के जानकारों की भर्ती की गई है ताकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ जब बैठक हो या फिर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर बात करनी हो तो ऐसे चीनी भाषा के दुभाषियों की मदद ली जा सके. टीए में केवल मंदारिन के जानकार की नही बल्कि साइबर एक्सपर्ट की भर्ती की जा रही है ताकि आने वाले नये चुनौतियों से निपटा जा सके.

टीए को नागरिक सेना भी कहा जाता है, अब कुछ नियमित सेना इकाइयों को टीए बटालियनों में बदलने पर भी बात हो रही है. इसको लेकर जब मंजूरी मिल जाएगी तो कुछ इकाइयों के साथ एक पायलट परियोजना शुरू की जाएगी. आपको बता दे कि टीए का 1948 में संसद के एक अधिनियम द्वारा गठित एक नागरिक बल है.  फिलहाल इसकी 60 इकाइयां हैं, 14 सेना की मदद के लिये में आतंकवाद विरोधी अभियान में तैनात हैं. इसकी दो इकाइयां अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तैनात हैं. इसमें पर्यावरण और वन, जल शक्ति, रेलवे और पेट्रोलियम मंत्रालयों द्वारा वित्त पोषित विभागीय टीए बटालियन भी है.

सिटीजन आर्मी ने मई महीने में जैसे ही मणिपुर में संकट सामने आया तो इसने वहां पर तेल प्रतिष्ठानों के जरिये राज्य में आवश्यक पेट्रोलियम और तेल उत्पादों की आपूर्ति और विमानों में ईंधन भरने का काम सुनिश्चित किया. यह ही नही  दूरदराज और संवेदनशील इलाकों में निर्माणाधीन सड़क और रेल की सुरक्षा के लिए सीमा सड़क संगठन और रेल मंत्रालय के साथ मिलकर टीए कुछ इकाइयां भी तैनात  है. टीए इकोलॉजी को बेहतर करने का काम भी बखूबी कर रही है. लगातार चूना पत्थरो की खुदाई और वनों की कटाई के कारण उत्तराखंड  के मसूरी में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त पहाड़ियों की रक्षा के लिए 1982 में पहली पारिस्थितिक टास्क फोर्स (ईटीएफ) की स्थापना की गई थी.

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आज देश भर में 10 पारिस्थितिक बटालियनें तैनात है. टीए के मुताबिक अलग अलग ईटीएफ ने संयुक्त रूप से देश भर में लगभग 88,400 हेक्टेयर में लगभग 9.38 करोड़ पौधे लगाए हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के हिस्से के रूप में जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर गंगा के संरक्षण और पुनर्जीवन पर एक विशेष टीए पारिस्थितिक बटालियन गंगा टास्क फोर्स काम कर रही है. वैसे दिल्ली में भी यमुना में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए चल रहे कोशिशों में टीए को सहायता के लिए भी नियुक्त किया गया है. टीए ने 2019 से महिला अधिकारियों को शामिल करना भी शुरू कर दिया है.

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सेना की असैन्य रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने के सही मायने प्रादेशिक सेना एक साथी की भूमिका निभा रहा है. अब यह भी कहा जा रहा है कि सेना की प्रशासनिक , लॉजिस्टिक, सप्लाई और परिवहन जैसी गैर रणनीतिक यूनिटों के संचालन का जिम्मा टेरिटोरियल आर्मी को दिए जाने पर गंभीर चर्चा हो रही है. इसके पीछे सोच है कि सेना की असैन्य जरूरतों के खर्च के साथ पेंशन के बोझ को कम किया जा सके. गौरतलब है कि प्रादेशिक सेना में नियुक्ति नियमित नहीं होती  है. जब जरूरत होती है उसी के मुताबिक इसमें भर्ती होती है. हालांकि जो इससे जुड़े होते है उन्हें साल में कम से कम दो महीने की सेवा देना जरूरी होता है.

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