डीफ ओलंपियन वीरेंदर सिंह को कल पद्म श्री अवार्ड मिला लेकिन आज वे हरियाणा भवन के सामने पद्मश्री, अर्जुन अवार्ड और मेडल लेकर फुटपाथ पर बैठे हैं. उनका कहना है कि हरियाणा सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है. इस बार पद्मश्री सम्मान को लेकर खासी चर्चा हो रही है. सम्मान पाने वालों में दिल्ली में कोविड काल में 4000 शवों का अंतिम संस्कार करने वाले जीतेंदर सिंह शंटी भी शामिल हैं. पद्म श्री सम्मान पाने वाले जीतेंदर सिंह शंटी खुश हैं जबकि डीफ ओलंपियन वीरेंदर सिंह फुटपाथ पर क्यों बैठे हैं?
दिल्ली में दो बार पार्षद रहे और एक बार विधायक रहे जीतेंदर सिंह शंटी की दो तस्वीरें हैं. इस साल अप्रैल में हमें वे श्मशान घाट पर मिले, आज अपने आफिस में मिले. कोविड के दौरान जीतेंदर ने करीब 4000 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया. इस सेवा के लिए पहले उन्होंने राजनीति छोड़ी फिर घर. अब उनका ज्यादातर वक्त श्मशान घाट में बीतता है.
शहीद भगत सिंह सेवा दल के अध्यक्ष जीतेंदर सिंह शंटी कहते हैं कि कोविड की याद आते ही दिल दहल जाता है .कभी सोचता हूं तो रातभर नींद नहीं आती है. मैंने चार हजार शवों का अंतिम संस्कार किया. प्रधानमंत्री जी मिले, कहा शंटी बहुत बढ़िया काम किया है. उप राष्ट्रपति जी ने एनडीटीवी देखकर कोविड के दौरान फोन किया कि आप बढ़िया काम कर रहे हैं.
उधर पहलवानी में तीन बार डीफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल ले चुके वीरेंदर को मंगलवार को पद्मश्री मिला और बुधवार को पुरस्कार लेकर वे फुटपाथ पर बैठ गए. वीरेंदर बोल और सुन नहीं सकते हैं लेकिन उनके हाथ के मेडल और सामने रखे द्रोण अवार्ड इस बात की गवाही दे रहे हैं कि कुश्ती में उनके योगदान के चलते ही पद्मश्री से उनको नवाजा गया है. उनकी केंद्र सरकार से कोई शिकायत नहीं है लेकिन हरियाणा सरकार से शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है.
वीरेंदर के भाई रामवीर ने बतया कि हरियाणा सरकार ने महज एक करोड़ और सी ग्रेड की नौकरी दी है जबकि पैरा ओलंपियन और ओलंपिक वालों को ज्यादा सुविधा दी जा रही हैं. हमने कल प्रधानमंत्री जी को भी ये बताया है. उन्होंने कहा हम बात करेंगे.
इसी तरह इस बार लोक नृत्य करने वाली ट्रांसजेंडर मनजप्पा हैं, जिनको पद्मश्री दिया गया है. तमाम ऐसे लोगों को इस बार पद्मश्री के जरिए पहचान मिली है जो खामोशी से जमीन पर अपने अपने क्षेत्र में काम कर रहे थे.