देश में बढ़ती महंगाई की चुनौती से निपटने के लिए आरबीआई गवर्नर ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया. केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को नियंत्रित करने के लिए पालिसी रेपो रेट (Repo Rate) 40 बेसिस पॉइंट बढाकर 4.40% करने का ऐलान कर दिया. इस फैसले से बैंकों से क़र्ज़ लेना महंगा हो जाएगा. RBI ने ये फैसला रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतों और अंतराष्ट्रीय बाजार में गेहूं और खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में उथलपुथल को देखते हुए किया है. आरबीआई गवर्नर ने अनुमान जताया है कि महंगाई अभी ऊँचे स्तर पर बनी रहेगी. देश में बढ़ती महंगाई के संकट से निपटने के लिए आख़िरकार आरबीआई गवर्नर ने पॉलिसी रेपो रेट, यानी वो रेट जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज मुहैया कराता है, उस में बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया.
सरकार ने माना, खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ी, गेहूं उत्पादन भी अनुमान से कम रहेगा
मंशा अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह को नियंत्रित करने की है. इसका असर होम लोन और दूसरे तरह के लोन के ब्याज दर पर पड़ सकता है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति को लेकर आपातकालीन बैठक (Monetary Policy Committee) के बाद जारी बयान में कहा, खाद्य महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी, वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी से घरेलू स्तर पर गेहूं की कीमतों पर असर दिखाई दे रहा है, हालांकि देश में अना ज की आपूर्ति सामान्य है. खाद्य तेलों (Edible Oils) के दाम भी आगे और बढ़ सकते हैं, क्योंकि इंडोनेशिया द्वारा पॉम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध का प्रभाव दिखाई देगा. कच्चे तेल के दाम (Crude Oil Prices) भी ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं.
दरअसल, हाल के हफ़्तों में यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चा तेल के रेट अंतराष्ट्रीय बाजार में 100 डॉलर के ऊपर बना हुआ है, इंडोनेशिया सरकार द्वारा Palm आयल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबन्ध ने खाने-पीने के तेल की कीमतों में उथल पुथल बढ़ा दी है. चिंता यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतराष्ट्रीय गेहूं बाजार में बढ़ती कीमतों को लेकर भी है. खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने एनडीटीवी से कहा, "इंडोनेशिया सरकार द्वारा पॉम ऑयम के एक्सपोर्ट पर लगाए गए प्रतिबंध का असर खाने-पीने के तेल के बाजार पर पड़ा है. जिन खाने-पीने के तेल में Palm Oil का इस्तेमाल होता है उनकी कीमतों पर इसका असर पड़ा.
हमें उम्मीद है कि इंडोनेशिया सरकार जल्दी ही पॉम ऑयल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध हटा लेगी". खाद्य सचिव ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, मौजूदा क्रॉप ईयर में करीब 60 लाख टन तक कम होने का अनुमान है. उनके मुताबिक इस साल गेहूं की खरीद कम हुई है क्योंकि किसानों ने ऊंची दरों पर गेहुं सीधे प्राइवेट ट्रेडर्स को बेचा है. सुधांशु पांडेय ने कहा, "इस साल देश में गेहूं का उत्पादन पहले अनुमानित 1110 लाख मीट्रिक टन की जगह 1050 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है. करीब 60 लाख गेहूं का प्रोडक्शन कम होने का अनुमान है. पिछले साल भी इतना ही प्रोडक्शन हुआ था".