RBI ने फिर बढ़ाया रेपो रेट.. महंगी हुई EMI, जानें होम लोन लेने वालों के लिए क्या है इसका अर्थ?

आरबीआई ने मौजूदा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों (2022-23) में महंगाई 6 फीसदी से ऊपर रह सकती है.

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प्रतिकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को अपनी जून पॉलिसी मिटिंग के बाद रेपो रेट प्वाइंट 50 फीसदी बढ़ा दिया. लगातार बढ़ रहे मुद्रास्फीति दर को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक ने प्रमुख ब्याज दर को बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत कर दिया है. महंगाई इस साल की शुरुआत से ही आरबीआई के 2 से 6 फीसदी के टारगेट बैंड से ऊपर रही है.

रेपो रेट बढ़ने पर बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ जाती है. रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक धन उधार देता है. रेपो रेट में बढ़ोतरी का तत्काल असर होम लोन जैसे रिटेल लोन पर पड़ा है.

बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, "होम लोन की ब्याज दरें जो अप्रैल में लगभग 6.50 प्रतिशत से नीचे थी, अब जून में बढ़कर 7.60 प्रतिशत हो जाएगी. बैक-टू-बैक रेपो रेट में बढ़ोतरी से फ्लोटिंग-रेट लोन लंबा हो जाएगा. उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति ने 20 साल के लिए 7 फीसदी की दर से उधार लिया और अगर उनकी दर बढ़कर 7.50 फीसदी हो गई, तो उन्हें 24 और ईएमआई का भुगतान करना होगा."

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उन्होंने कहा, "यदि उसने ईएमआई समायोजन का विकल्प चुना होता, तो उसकी प्रति लाख ईएमआई में उपरोक्त उदाहरण में ₹ 30 की वृद्धि होगी. यानी उनके मासिक खर्च में लगभग 4 प्रतिशत की वृद्धि होगी. प्रत्येक उधारकर्ता के लिए गणित अलग है. कुंजी यह है कि इच्छित समय सीमा में ऋण का भुगतान करें. उधारकर्ता अपने ब्याज बोझ को नियंत्रित करने के लिए ईएमआई स्टेप-अप या एकमुश्त भुगतान जैसे पूर्व भुगतान विधियों का उपयोग कर सकते हैं."

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पिछले महीने, रिजर्व बैंक ने एक ऑफ-साइकिल बैठक में रेपो दर में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी की थी, जिससे अगस्त 2018 के बाद यह पहली बार दरों में बढ़ोतरी हुई.

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शेट्टी ने कहा "रेपो बढ़ोतरी के साथ, होम लोन पर ब्याज दरें बढ़ेंगी. 36 दिनों के भीतर 90 बीपीएस की कुल बढ़ोतरी का मतलब है कि फ्लोटिंग दरों पर सभी होम लोन अधिक महंगे होंगे. मौजूदा और नए उधारकर्ताओं को बैंकों और आवास के रूप में ज्यादा ईएमआई चुकानी होगी. वित्त कंपनियां उनपर ब्याद दर वृद्धि का बोझ डालेंगी. यह आखिरी बढ़ोतरी नहीं हो सकती है, क्योंकि आरबीआई से 2022 तक दरों में वृद्धि की उम्मीद है या जब तक मुद्रास्फीति को सहनीय स्तर तक नहीं लाया जाता है. उधारकर्ता या तो अपनी ईएमआई रखने के लिए अपने गृह ऋण कार्यकाल का विस्तार कर सकते हैं अतिरिक्त ब्याज के बोझ को कम करने के लिए अपरिवर्तित या आंशिक रूप से कुछ राशि का पूर्व भुगतान करें, आपका क्रेडिट स्कोर आपको कम ब्याज दरों तक पहुंचने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर यदि आप अपने ऋण को पुनर्वित्त करते हैं."

साथ ही, आरबीआई ने मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों (2022-23) में महंगाई 6 फीसदी से ऊपर रह सकती है.
 

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