रेप के दोषी राम रहीम को जेल से फिर मिला ब्रेक, 21 दिन की फरलो हुई मंजूर; बागपत आश्रम में रहेगा

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को दो बार पैरोल मिल चुकी है. पैरोल खत्म होने के बाद उसने फरलो की अर्जी लगाई थी. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह फरलो के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित अपने आश्रम में रहेगा. 

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नई दिल्ली:

डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet Ram Rahim Singh) एक बार फिर से जेल से बाहर आएगा. रोहतक जेल में सजा काट रहे राम रहीम की 21 दिन की फरलो मंजूर हो गई है. गुरमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet Ram Rahim Singh furlough) रोहतक की सुनारिया जेल में हत्याओं और साध्वियों से रेप के मामले में 20 साल की सजा काट रहा है. वो अगले हफ्ते तक एक बार फिर जेल से बाहर आ सकता है.

डेरा सच्चा प्रमुख की यह 21 महीने में 8ठी छुट्टी है. इससे पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को दो बार पैरोल मिल चुकी है. पैरोल खत्म होने के बाद उसने फरलो की अर्जी लगाई थी. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह फरलो के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित अपने आश्रम में रहेगा. इस फैसले के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. 

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सिरसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को आखिरी बार जुलाई में 30 दिन की पैरोल मिली थी. तब राम रहीम सुनारिया जेल से निकलकर यूपी के बागपत में रहा था. पैरोल के दौरान उसे सिरसा डेरे में जाने की इजाजत नहीं थी. इससे पहले उसके लिए सिरसा से घोड़े और गाय पहुंचाए गए हैं और वहां पर सुरक्षा बढ़ाई गई.

राम रहीम ने 15 अगस्त को अपने जन्म दिन के लिए पैरोल ली थी. इससे पहले राम रहीम को इसी साल जनवरी में 40 दिन की पैरोल मिली थी. 

28 अगस्त 2017 को हुई थी 20 साल की सजा
राम रहीम को अपनी दो साध्वियों के साथ रेप करने के आरोप में 28 अगस्त 2017 को 20 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के जुर्म में अदालत ने गुरमीत राम रहीम को 17 जनवरी, 2019 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. 

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24 अक्टूबर 2020 में मिली पहली पैरोल
राम रहीम को साल 2020 में पहली बार पैरोल दी गई थी. 24 अक्टूबर 2020 को राम रहीम को एक दिन की पैरोल दी गई थी. उसकी यह पहली पैरोल इतनी सीक्रेट थी कि पूरे हरियाणा में सिर्फ 4 लोगों को इसके बारे में जानकारी थी. पहली बार उसे कड़ी सुरक्षा में जेल से बाहर निकाला गया था. पहली पैरोल में राम रहीम को उसकी बीमार मां से मिलने के लिए जेल से बाहर आने की अनुमति दी गई थी.

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सात महीने बाद मिली दूसरी पैरोल
पहली पैरोल के लगभग सात महीने बाद उसे दोबारा पैरोल दी गई थी. इस बार वह दो दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया था. दूसरी बार भी वह अपनी मां से मिलने के लिए गुरुग्राम गया था. उस दौरान वह मानेसर के एक फार्म हाउस में ठहरा था. सुनारिया जेल से सुबह सवा छह बजे वह जेल से बाहर आया था.

7 फरवरी 2022 को तीसरी बार मिली पैरोल
साल 2021 के बाद राम रहीम को 2022 में पैरोल दी गई थी. लेकिन इस बार उसकी पैरोल का समय पहले से अधिक था. राम रहीम इस बार 21 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर आया था. इस बार उसने पैरोल पाने के लिए यह दलील दी थी कि उसे अपनी गोद ली हुई बेटियों की शादी करनी है, जिसके चलते वह जेल से बाहर आया था.

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जून 2022 में चौथी बार पैरोल
दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को तीसरी बार पैरोल देने के लगभग तीन महीने बाद फिर से पैरोल मिल जाती है. पहले 2 1 दिन की पैरोल मिली थी. वहीं, इस बार सीधे एक महीने की उसे पैरोल दी गई थी. जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम बागपत स्थित अपने आश्रम में गया था.

अक्टूबर 2022 पांचवी बार
डेरा प्रमुख राम रहीम को अक्टूबर 2022 में 40 दिनों की पैरोल दी गई थी. पैरोल से बाहर निकलने के बाद राम रहीम बागपत के बरनावा आश्रम पहुंचा था.

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21 जनवरी 2023 छठी बार मिली जेल से छुट्टी
आरोपी राम रहीम को अक्टूबर के बाद फिर इसी साल जनवरी में पैरोल दी गई थी. इस बार उसे हरियाणा सरकार ने 40 दिन की पैरोल दी थी. डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती में शामिल होने के लिए उसे पैरोल मिली थी.

राम रहीम को फिर मिली 30 दिन की पैरोल, ढाई साल में 7वीं बार जेल से आया बाहर

सातवीं बार जेल से बाहर आया राम रहीम
ढाई साल में सातवीं बार उसे फिर 20 जुलाई 2023 को पैरोल दी गई है. इस बार उसे 30 दिन की पैरोल मिली है. जेल प्रशासन ने राम रहीम को सिरसा डेरे में जाने की इजाजत नहीं है और वह फिर यूपी के बागपत में स्थिति बरनावा आश्रम में रहेगा.

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फरलो और पैरोल में क्या है फर्क?
फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्‌टी से है. यह पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है. एक साल में कैदी तीन बार फरलो ले सकता है, लेकिन इसकी कुल अवधि 7 सप्ताह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. ठोस कारणों की स्थिति में फरलो 120 दिन के लिए मंजूर की जा सकती है  यह भी जरूरी है कि कैदी ने इससे पहले तीन साल की सजा पूरी कर ली और जेल में उसका बर्ताव अच्छा हो। इसकी मंजूरी जेल विभाग के महानिदेशक देते हैं.

वहीं, पैरोल के लिए कारण बताना जरूरी होता है. यह जेल अधीक्षक की देखरेख में ही दी जाती है. इसके नियम सख्त होते हैं. महाराष्ट्र प्रिजन मैन्युअल के तहत सालभर में किसी कैदी को अधिकतम 90 दिन की पैरोल पर रिहा किया जा सकता है.

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