Rajya Sabha elections: मायावती की पार्टी के चार विधायक, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव से पहले राजस्थान में कांग्रेस में विलय की घोषणा की थी, राज्य की चार सीटों के नजदीकी मुकाबले में शु्क्रवार को सत्ताधारी पार्टी के साथ वोट डालने वालों में शामिल रहे. सभी छह विधायक, जो पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP)के साथ थे, सीएम अशोक गहलोत के साथ विधानसभा बिल्डिंग में आए और वोट डाला. इन विधायकों के वोटों को लेकर दी गई कानूनी चुनौती को भी उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि वह इस मामले की तत्काल सुनवाई नहीं करेगा.
राज्यसभा चुनाव के लिए विधानसभा बिल्डिंग में सुबह 9 बजे वोटिंग प्रारंभ हुई और यह शाम चार बजे तक चलेगी. वोटों की गिनती शाम पांच बजे से प्रारंभ होगी. राजस्थान के सीएम गहलोत सुबह नौ बजे से कुछ देर पहले ही विधानसभा पहुंच गए थे और कांग्रेस विधायकों की पहली बस भी पार्टी के तीन उम्मीदवारों में एक रणदीप सुरेजवाला के साथ विधानसभा पहुंची. बीएसपी से कांग्रेस में पहुंचे चार विधायकों में से एक संदीप यादव ने कहा, "हां, हमें कांग्रेस के लिए वोटि किया है. एक पार्टी के विधायकों के लिए यह पूरी तरह संवैधानिक है कि वे पार्टी के तीन चौथाई विधायकों के साथ दूसरी पार्टी में विलय करें. "
दूसरी ओर, बीजेपी के विधायक दो बसों में विधानसभा पहुंचे. दोनों ही पक्षों ने अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए चाकचौबंद इंतजाम किए थे. यहां तक कि सरकार ने अपने विधायकों को 'सुरक्षित' रखने के लिए जयपुर के आमेर एरिया में 12 घंटे तक इंटरनेट भी बंद कर दिया था. कांग्रेस ने सुरजेवाला के अलावा मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को प्रत्याशी बनाया है जबकि बीजेपी ने घनश्याम तिवारी को उम्मीदवार बनाया है जबकि निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को पार्टी समर्थन कर रही है. चंद्रा ने सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के लिए चुनावों का चुनौतीपूर्ण बना दिया है.
रिपोर्टर्स से बात करते हुए सीएम गहलोत ने विश्वास जताया कि कांग्रेस के तीनों विधायक अच्छी स्थिति में रहते हुए जीत हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेबहुमत न होने के बाद भी चंद्रा को निर्दलीय के तौर पर उतारने का 'खेल' खेला है. सीएम ने कहा, "यहां तक कि बीजेपी के विधायक भी उन्हें (चंद्रा को) पसंद नहीं करते. " हालांकि बीएसपी के राज्य प्रमुख भगवान सिंह बावा ने व्हिप जारी करके 2018 के विस चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में जीतने वाले और 2019 में कांग्रेस में विलय करने वाले 6 विधायकों को कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों को वोट नहीं देने का निर्देश दिया था लेकिन लगता नहीं कि विधायकों ने इसका कितना पालन किया है.
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