भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर कांग्रेस की ओर से केंद्र सरकार पर सरेंडर करने के आरोप पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पलटवार किया है. उन्होंने चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री रहने के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए एक समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि सरेंडर करने का काम तो कांग्रेस ने 1991 में किया था. अब समय आ गया है कि इस समझौते जांच की जाए कि किन परिस्थितियों में यह समझौता हुआ. क्या यह देशद्रोह नहीं है?
बीजेपी सांसद ने कहा कि 1991 का समझौता तब हुआ था, जब कांग्रेस समर्थित सरकार सत्ता में थी. इसे 1994 में लागू किया गया था, जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे. उस समझौते में आपने कहा था कि हमारी सेना कहां तैनात होगी, नौसेना कहां तैनात होगी, वायुसेना कैसे कार्रवाई करेगी और ये सब 15 दिन पहले बताना होगा, क्या ये देशद्रोह नहीं है?
निशिकांत दुबे ने कहा कि मेरा कांग्रेस से सीधा सवाल है कि यह जो समझौता आपने किया, यह किन परिस्थितियों में किया? क्योंकि, सेना की बातें तो संसद में भी चर्चा नहीं की जाती हैं. आजादी के बाद से हम अपने हिस्से के कश्मीर के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और दुश्मन देश पीओके के लिए लगातार आतंकी गतिविधि करने में लगा हुआ है.
पाकिस्तान से 1991 में हुए समझौते की हो जांच- निशिकांत दुबे
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम देखिए, कांग्रेस ने 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता किया. 1960 में सिंधु जल समझौता, आतंकवादी हमलों में हमारे किसान मारे जाते हैं और कांग्रेस उन्हें पानी पिलाते रही. इसके बाद 1975 में शिमला समझौता कर लिया. कांग्रेस ने 2012 में वीजा इतना फ्री कर दिया कि 40 हजार पाकिस्तानी यहां आए और यहीं के होकर रह गए. भारत सरकार उनकी खोज कर रही है. भाजपा सांसद ने कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को बर्बाद और बेचने का काम किया. अब समय आ गया है कि इस समझौते की जांच की जाए कि किन परिस्थितियों में यह एग्रीमेंट हुआ.
वहीं राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इतिहास की बात की जाए तो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने विदेश मामलों के जानकार डॉ. ब्रह्मा चेलानी का हवाला देते हुए कहा कि चेलानी ने 2013 में लिखा था कि पाकिस्तान सीमा के पास केरन सेक्टर में आतंकवादियों ने हमारे सैनिकों के सिर काट लिए और उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अमेरिका में थे और उनकी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से चर्चा होनी थी, यह खबर छिपाई गई और देश को नहीं बताई गई.
हरिवंश ने कांग्रेस से कहा कि अतीत में मत जाइए, नहीं तो मैं 2004 से 2014 तक 2500 ऐसी घटनाओं का जिक्र कर सकता हूं, ऐसे हजारों मौके आए जब आपको कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया.
समझौते से पहले चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था- कांग्रेस
इधर कांग्रेस ने निशिकांत दुबे पर पलटवार करते हुए कहा कि दुबे ने जिस समय के समझौते की बात की है, उससे पहले ही उसने (कांग्रेस) चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा कि दुबे को इस बारे में आगे की कहानी चंद्रशेखर के पुत्र और भाजपा सांसद नीरज शेखर से पूछनी चाहिए.
खेड़ा ने पोस्ट किया, "इस व्यक्ति की जानकारी दुरुस्त कर दें कि कांग्रेस पार्टी ने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन फरवरी, 1991 में ही वापस ले लिया था. 10वीं लोकसभा के चुनाव घोषित हो चुके थे. आगे की जानकारी के लिए यह अपनी पार्टी के साथी नीरज शेखर से संपर्क कर सकते हैं."
दरअसल राहुल गांधी और कांग्रेस ने पिछले कुछ दिनों में विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक बयान का हवाला देते हुए बार-बार यह आरोप लगाया है कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत से पहले ही इसकी जानकारी पाकिस्तान को दे दी थी. मुख्य विपक्षी दल का दावा है कि इससे भारत के राष्ट्रीय हितों एवं सुरक्षा से समझौता हुआ और पाकिस्तान में मौजूद मसूद अजहर समेत कई खूंखार आतंकवादी बचने में कामयाब रहे.
दूसरी तरफ, भाजपा ने तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने और राहुल गांधी पर पाकिस्तान की जुबान बोलने का आरोप लगाया है.