जाने-माने फंड मैनेजर राजीव जैन का कहना है कि उनकी फर्म GQG पार्टनर्स LLC ने भारतीय शेयरों में लगभग 13 अरब अमेरिकी डॉलर लगा रखे हैं, और अरबपति गौतम अदाणी के समूह में निवेश करने से जुड़े कॉरपोरेट गवर्नेन्स और राजनीतिक जोखिमों की तरफ़ कतई तवज्जो न देते हुए उनकी योजना और भी शेयर खरीदने की है.
ब्लूमबर्ग में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, GQG के पास सिगरेट और होटल समूह ITC लिमिटेड, भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक लिमिटेड और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन जैसे कुछ बैंकों सहित कई कंपनियों के शेयर हैं. GQG के मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) राजीव जैन ने एक इंटरव्यू में कहा, "हमें प्राइवेट सेक्टर के बैंक, IT कंपनियां और उपभोक्ता सामग्री बनाने वाली कंपनियां पसंद हैं... लेकिन हमें लगता है कि आने वाला वक्त इन्फ़्रास्ट्रक्चर कंपनियों का है, और फिलहाल इस पर कम ध्यान दिया जा रहा है..."
GQG का इरादा भारत में शेयर खरीद को बढ़ाने का है, और वह मार्च से अब तक अदाणी ग्रुप की 5 कंपनियों के शेयरों में लगभग 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर लगा चुका है, जब ग्रुप के शेयर शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद नुकसान झेल रहे थे.
राजीव जैन का कहना है कि उन्होंने "हमेशा हवा के ख़िलाफ़ जाकर दांव लगाए" हैं. इसका उदाहरण है 2021 में टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों की खरीद में कटौती और ऊर्जा कंपनियों के शेयरों की खरीद बढ़ाना. उन्होंने कहा, "हमारी सातवीं वर्षगांठ पर हम 100 अरब अमेरिकी डॉलर के शेयरों का आंकड़ा छूने जा रहे हैं..."
राजीव जैन ने गौतम अदाणी के राजनैतिक ताल्लुकात को लेकर गलतफ़हमियों पर अब तक के सभी इंटरव्यू के मुकाबले ज़्यादा बात की, और यह भी कहा कि अदाणी की कंपनियां भारत के देशव्यापी बुनियादी ढांचा निर्माण और सुधार के लिए ज़रूरी हैं.
इस विचार का ज़िक्र करते हुए कि अदाणी की व्यापारिक कामयाबी की निर्भरता या रिश्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में बने रहने के साथ है, GQG के CIO राजीव जैन ने कहा, "अदाणी के किस्से में जितना सोचा जाता है, उससे कहीं कम राजनैतिक जोखिम है... उनका अधिकतर मुकाबला पब्लिक सेक्टर की कम डायनमिक कंपनियों से है, जिसकी वजह से हमारे विचार में राजनैतिक जोखिम घट जाता है..."
न्यूयॉर्क स्थित शॉर्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग ने इसी साल जनवरी में अदाणी समूह पर आरोप लगाए थे - जिसके चलते एक वक्त ग्रुप के बाज़ार मूल्य में 150 अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज़्यादा की कमी आ गई थी - और अरबपति व्यवसायी की पिछली ज़िन्दगी और भारतीय राजनेताओं के साथ उनके रिश्तों की कहानियां नए सिरे से सुर्खियों में आ गईं. माना जाता है कि अदाणी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गहरी दोस्ती है. दोनों ही गुजरात राज्य से हैं, जहां नरेंद्र मोदी पहले मुख्यमंत्री के रूप में शासन करते थे.
अदाणी समूह ने PM नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से शानदार बढ़ोतरी दर्ज की है, और कुछ लोगों का कहना है कि अगर सत्तासीन पार्टी चुनाव हार जाती है, तो ग्रुप की बढ़ोतरी की रफ़्तार भी घट सकती है. अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं, और माना जा रहा है कि पिछले कई दशक में देश के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल कर सकेंगे.
गौतम अदाणी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें सरकार की ओर से न तो विशेष सुविधा मिलती है, न वह इसकी उम्मीद करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कभी सीधे तौर पर कुछ भी नहीं कहा है.
भारत में राजनैतिक रुख में बदलाव से अदाणी ग्रुप पर फ़र्क पड़ने की संभावना नहीं है, इस बात के सबूत के तौर पर राजीव जैन ने विपक्ष के कब्ज़े वाले राज्यों का उदाहरण दिया, जैसे राजस्थान, जहां गौतम अदाणी ने काफ़ी निवेश किया है. फ्लोरिडा स्थित फोर्ट लॉडरडेल से काम करने वाले भारतीय मूल के राजीव जैन ने कॉरपोरेट गवर्नेन्स से जुड़ी उन चिंताओं को भी खारिज कर दिया, जो अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड के कुछ कंपनियों से लेनदेन को लेकर अपर्याप्त खुलासों के बारे में डेलॉइट हैस्किन्स एंड सेल्स LLP ने जताई थीं.
'चिल्लपों मचाई जा रही है...'
कोयला खदानों से हवाईअड्डों तक अदाणी की क्वालिटी संपत्ति के साथ-साथ प्रोजेक्ट को लागू और पूरा करने की ग्रुप की क्षमता का बार-बार ज़िक्र करने वाले राजीव जैन ने कहा, "लोग-बाग अदाणी ग्रुप के समूचे नतीजों पर ध्यान दिए बिना ही कॉरपोरेट गवर्नेन्स से जुड़े मुद्दों को लेकर चिल्लपों मचा रहे हैं..." उन्होंने इन हालात की तुलना चीन में निवेश करने से भी की.
पारदर्शिता के अभाव को लेकर आलोचना झेलने वाले वेरिएबल इंट्रेस्ट एन्टिटीज़ का ज़िक्र करते हुए राजीव जैन बोले, "ऐसे किसी शख्स के बारे में सोचें, जो VIE ढांचे के तहत चीन की कंपनियों में निवेश कर रहा है... यह कभी भी निवेश के लिए अच्छा सेटअप नही होता है..."
फिलहाल बाज़ार का रुख राजीव जैन के पक्ष में लग रहा है, क्योंकि अदाणी ग्रुप के शेयरों में तेज़ी आई है और पिछले ही महीने भारत के सुप्रीम कोर्ट में विशेषज्ञ पैनल की अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की गई, जिसमें ग्रुप द्वारा स्टॉक कीमतों में हेरफेर किए जाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के चलते हुए नुकसान से शेयरों के उबरने के बाद अब GQG का अदाणी कंपनियों में निवेश लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर है. अदाणी ग्रुप की दो कंपनियों ने पिछले माह 2.6 अरब अमेरिकी डॉलर की शेयर बिक्री की योजना की घोषणा की है.
राजीव जैन ने फिर कहा, "हम शर्तिया अदाणी ग्रुप में और निवेश करने में रुचि रखते हैं... लेकिन यह शेयर कीमतों समेत बहुत-सी बातों पर निर्भर करता है... कुछ भी पत्थर की लकीर जैसा नहीं है..."
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