बच जाएगी सोनम? राजा मर्डर केस में ट्विस्ट, मजिस्ट्रेट के सामने पलट गए 2 आरोपी, जानें अब आगे क्या

Raja Raghuvanshi Murder Case: मेघालय एसआईटी प्रभारी हर्बर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने कहा कि एसआईटी ने जांच की शुरुआत से ही पर्याप्त और ठोस भौतिक साक्ष्य एकत्र किए हैं, जो मजबूत और स्वीकार्य हैं.

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Meghalaya Honeymoon Murder: राजा रघुवंशी मर्डर केस में नया मोड़

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  • राजा रघुवंशी हत्याकांड में दो आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपराध कबूलने से इनकार किया.
  • मेघालय पुलिस के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त भौतिक साक्ष्य मौजूद हैं.
  • आरोपी आकाश और आनंद ने अपने कानूनी अधिकार का उपयोग करते हुए चुप रहने का निर्णय लिया.
  • पुलिस ने सभी आरोपियों को मजिस्ट्रेट कार्यवाही के लिए पेश नहीं किया था.
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नई दिल्ली:

इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड में नया मोड़ आ गया है. राजा के मर्डर (Raja Raghuvanshi Murder Case) में सोनम का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार दो आरोपी आकाश और आनंद ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध कबूल करने से इनकार कर दिया. पहले मेघालय पुलिस ने दावा किया था कि सभी आरोपियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है. हालांकि मेघालय एसआईटी प्रमुख का कहना है कि उनके पास अभी भी दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पर्याप्त भौतिक साक्ष्य हैं. अब सवाल ये भी है कि क्या अब सोनम बच जाएगी, क्यों कि आरोपी तो बयान से मुकर गए हैं. लेकिन एसआईटी के बयान से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है.

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बयान से मुकरे दो आरोपी, अब क्या

राजा रघुवंशी हत्याकांड में भले ही आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध कबूल करने से इनकार कर दिया हो, लेकिन  एसआईटी उनके खिलाफ पुख्ता सबूत होने की बात कह रही है. राजा रघुवंशी हत्याकांड की चल रही जांच में शिलांग शहर के पुलिस अधीक्षक और मेघालय एसआईटी प्रभारी हर्बर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने कहा कि दो आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई भी इकबालिया बयान देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने सभी आरोपियों को मजिस्ट्रेट कार्यवाही के लिए नहीं भेजा था. सिर्फ आकाश और आनंद को भी पेश किया गया था. दोनों ने चुप रहने के अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए बयान नहीं देने का फैसला किया.

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मेघालय पुलिस कह रही-हमारे पास ठोस सबूत हैं

हर्बर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने कहा कि एसआईटी ने जांच की शुरुआत से ही पर्याप्त और ठोस भौतिक साक्ष्य एकत्र किए हैं, जो मजबूत और स्वीकार्य हैं. जबकि पुलिस के सामने कबूलनामे अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भौतिक साक्ष्य कानूनी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान ही कोर्ट में मान्य

बीएनएसएस के तहत धारा 180 के तहत दर्ज किए गए बयान जांच और जिरह के दौरान सहायक होते हैं, लेकिन केवल बीएनएसएस की धारा 183 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए बयान ही अदालत में महत्वपूर्ण साक्ष्य रखते हैं. बता दें कि एसआईटी वर्तमान में चल रही जांच के हिस्से के रूप में फोरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. 

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