जिस कूड़े ( Grabage) के निस्तारण के लिए पहले रेलवे ( RAILWAY) पैसे खर्च करती थी, अब उसी कूड़े से लाखों की कमाई कर रही है. नॉर्दर्न रेलवे ने अपने करीब 30 स्टेशनों के ट्रेनों के लिए प्राइवेट पार्टी से 5 सालों का कॉन्ट्रैक्ट किया है. कंपनी ट्रेनों से कूड़े उठाने के एवज में रेलवे को 10 लाख रुपये सालाना दे रही है. ट्रेन के भीतर का कूड़ा करोड़ों का है. प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी यात्रियों के कूड़े को इकठ्ठा करते हैं. इसकी छटाई को लेकर इस कूड़े को सिग्रेगेशन सेंटर ले जाया जाता है, जहां मुसाफिरों के कूड़े की एक-एक चीजों को अलग-अलग छांट कर रखा जाता है.
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रीकार्ट कंपनी के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर कुणाल किशोर ने एनडीटीवी को बताया कि ट्रेन यात्रियों के इस्तेमाल में लायी गयी चीजों से कुल 7 तरह का कूड़ा निकलता है. दिनभर में डेढ़ टन का कूड़ा हम ट्रेनों से अमूमन जमा करते हैं. फिलहाल राजधानी जन शताब्दी जैसी 30 ट्रेनों में कूड़ा उठाने की अनुमति और नॉर्दन रेलवे से करार है.
कंपनी कूड़े का करती है रिसाइकल
कन्वेयर बेल्ट पर कूड़े को अलग करने के बाद बेलिंग मशीन के ज़रिए इसको पिचकाया जाता है और बंडल बनाया जाता है. उठाये गए कचरे में से करीब 70% का कंपनी रिसाइकल कर पाती है. इन कूड़ों से ग्लास, प्लास्टिक के दाने, कागज़, एल्यूमीनियम के सामान और इलेक्ट्रिसिटी तक बनाई जाती है. साथ ही जो बचा खाना रहता है उससे खाद भी बनाया जाता है.
नॉर्दर्न रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा कि पहले जिस कूड़े को उठाने के लिए रेलवे पैसे खर्च करती थी, अब साफ-सफाई भी हो रही है और उसी कूड़े से कमाई भी. पांच सालों का कॉन्ट्रैक्ट है जिसमे रेलवे करीब 50 लाख रेलवे को उनको देना होगा. वहीं 10 लाख रुपये हर साल कंपनी कूड़ा उठाने की एवज में रेलवे को देगी.