क्या रेलवे में जनरल कोच कम हो रहे हैं? रेल मंत्री ने संसद में क्लियर की पिक्चर

संसद में एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्षी दलों पर भ्रामक तथ्य फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कई लोग इस सदन के अंदर और बाहर यह प्रचार करने की कोशिश करते हैं कि जनरल कोच कम हो गए हैं.

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नई दिल्ली:

ट्रेनों में जनरल कोच की संख्या क्या कम हो रही है? ऐसे सवाल लगातार उठते रहे हैं. विपक्षी दलों द्वारा भी लगातार ऐसे सवाल उठाए जाते रहे हैं. विपक्ष का आरोप रहा है कि रेलवे में आम जनता के लिए जनरल कोच कम किए जा रहे हैं और एसी कोचों को प्राथमिकता दी जा रही है. इस मुद्दे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में विपक्ष पर जमकर हमला बोला. उन्होंने आंकड़ों के साथ बताया कि जनरल कोच कम नहीं हो रहे हैं, बल्कि उनकी संख्या में पहले की तुलना में बढ़ोतरी हुई है. रेल मंत्री ने यह भी जोर देकर कहा कि उनकी सरकार और पार्टी का मूल मंत्र "अंत्योदय" है, यानी समाज के सबसे गरीब और अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के उत्थान के लिए काम करना.

रेल मंत्री ने विपक्ष को जमकर सुनाया
संसद में एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्षी दलों पर भ्रामक तथ्य फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कई लोग इस सदन के अंदर और बाहर यह कोशिश करते हैं कि जनरल कोच कम हो गए हैं. मैं बहुत स्पष्टता के साथ कहना चाहता हूं कि पहले नॉन-एसी और एसी कोच का अनुपात दो-तिहाई और एक-तिहाई यानी 2:1 था. लेकिन अब यह अनुपात बदलकर 70:30 हो गया है. 

रेल मंत्री ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि वर्तमान में रेलवे के पास 56,000 नॉन-एसी कोच (स्लीपर और जनरल) और 23,000 एसी कोच हैं. यह 70% और 30% का अनुपात दर्शाता है कि जनरल कोच न केवल बरकरार हैं, बल्कि उनकी संख्या में एसी कोचों की तुलना में ढाई गुना वृद्धि हुई है.

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हम अंत्योदय की भावना से करते हैं काम: अश्विनी वैष्णव
रेल मंत्री ने कहा कि हमारा जो कमिटमेंट गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए है, वह इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है. जनरल कोच बढ़ रहे हैं और एसी कोचों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं. वैष्णव ने यह भी बताया कि रेलवे के मौजूदा प्रोडक्शन प्लान के तहत 17,000 नॉन-एसी कोच (स्लीपर और जनरल) बनाने का कार्यक्रम चल रहा है. उन्होंने विपक्ष से अपील की कि इस तरह के निराधार आरोप न लगाए जाएं. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जिस पार्टी से मैं आता हूं, वह जनसंघ के समय से 1952 से अंत्योदय की भावना के साथ काम करती आई है. जो समाज के सबसे गरीब वर्ग हैं, जो अंतिम छोर पर हैं, उनके लिए यह पार्टी जीती है और उनका संकल्प भी यही है.

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