सुप्रीम कोर्ट की समिति से पीएम और सरकार इसलिए सहयोग नहीं कर रही क्‍यों‍कि.. : राहुल गांधी ने साधा निशाना

राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा, "सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्‍त समिति के साथ पीएम और उनकी सरकार का असहयोग इस बात की स्‍वीकारोक्ति है कि उनके पास छुपाने के लिए बहुत कुछ है और वे लोकतंत्र को कुचलना चाहते हैं. "

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नई दिल्‍ली:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)ने पेगासस मामले (Pegasus Issue)में केंद्र सरकार पर फिर निशाना साधा है. राहुल ने गुरुवार को एक ट्वीट कर इस मामले में केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए. राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा, "सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्‍त समिति के साथ पीएम और उनकी सरकार का असहयोग इस बात की स्‍वीकारोक्ति है कि उनके पास छुपाने के लिए बहुत कुछ है और वे लोकतंत्र को कुचलना चाहते हैं. " ट्वीट के साथ उन्‍होंने हैशटैग Pegasus का इस्‍तेमाल किया है.

गौरतलब है कि पेगासस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई वाली कमेटी रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है. सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट दाखिल की गई है, तीन भागों में दी गई है. समिति की सिफारिश है कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट का विवरण सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए. ये सूचना अपराधियों को कानून प्रवर्तन तंत्र को बायपास करने की अनुमति दे सकती है, ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में अधिक जानकारी और नए मैलवेयर बन सकते हैं, नया मैलवेयर बनाने के लिए सामग्री का दुरुपयोग किया जा सकता है. सीजेआई ने कहा कि विशेषज्ञों ने सिफारिशें की हैं जिनके जरिए लोगों के उपकरण इन मैलवेयर के असर से बचाए जा सकते हैं. साइबर सिक्योरिटी एजेंसी इन आरोपों की जांच करे.

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सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि 29 मोबाइल फोन में 5 में मैलवेयर पाया गया है , लेकिन इससे ये नहीं कहा जा सकता कि ये पेगासस स्पाइवेयर है. सीजेआई ने आगे कहा कि हम कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगे. इसमें कोई सीक्रेट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाल दें. समिति को मोबाइल फोन में पेगासस के सबूत नहीं मिले और समिति ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही. हम बिना रिपोर्ट देखे आगे टिप्पणी नहीं कर सकते.सीजेआई ने आगे कहा कि रिपोर्ट में सिफारिश की गई है गोपनीयता के कानून को बेहतर बनाने और गोपनीयता के अधिकार में सुधार, राष्ट्र की साइबर सुरक्षा बढ़ाने, नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने तथा गैर-कानूनी निगरानी से संबंधित शिकायत उठाने की व्यवस्था पर कानून मजबूत किया जाए. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा. कोर्ट तय करेगा कि रिपोर्ट के कौन से हिस्से सार्वजनिक कराएं.

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