ED चार्जशीट के बाद खुलकर रॉबर्ट वाड्रा के बचाव में आए राहुल, बोले- 10 साल से पीछे पड़ी है सरकार

रॉबर्ट वाड्रा के बचाव में राहुल गांधी ने कहा कि मुझे पता है कि वे सभी किसी भी तरह के उत्पीड़न का सामना करने के लिए तैयार हैं और वे गरिमा के साथ ऐसा करते रहेंगे. आखिरकार सच्चाई की जीत होगी.

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राहुल गांधी ने रॉबर्ट वाड्रा केस में दी प्रतिक्रिया
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  • ED ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ गुरुग्राम लैंड डील मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की है।
  • चार्जशीट में वाड्रा समेत 11 आरोपियों के नाम शामिल हैं और सुनवाई 24 जुलाई को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी.
  • आरोप है कि वाड्रा की कंपनी ने 2008 में फर्जी दस्तावेजों के जरिए कम कीमत में जमीन खरीदी और बाद में उसे अधिक कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाया।
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नई दिल्ली:

रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ गुरुग्राम लैंड डील मामले में प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है, जिसकी सुनवाई  24 जुलाई को होगी. रॉबर्ड वाड्रा पर ईडी की इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ईडी की इस कार्रवाई को लेकर कहा है कि मेरे जीजाजी को पिछले दस सालों से यह सरकार परेशान कर रही है. यह ताज़ा आरोपपत्र उसी षड़यंत्र का एक और हिस्सा है. मैं रॉबर्ट, प्रियंका और उनके बच्चों के साथ हूं, क्योंकि उन्हें दुर्भावनापूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित बदनामी और उत्पीड़न का एक और हमला झेलना पड़ रहा है. मुझे पता है कि वे सभी किसी भी तरह के उत्पीड़न का सामना करने के लिए तैयार हैं और वे गरिमा के साथ ऐसा करते रहेंगे. आखिरकार सच्चाई की जीत होगी.

क्या है शिकोहपुर लैंड स्कैम केस?

साल 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी Skylight Hospitality Pvt Ltd ने गुरुग्राम के सेक्टर 83 स्थित शिकोहपुर गांव में लगभग 3.53 एकड़ जमीन खरीदी थी. उस समय ये जमीन करीब 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी. आरोप है कि ये जमीन ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी देकर खरीदी गई थी. 

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'रसूख का इस्तेमाल करके लाइसेंस लिया'

जिस समय ये सौदा हुआ था. उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे. इसके बाद इस जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी डेवलप करने का लाइसेंस मिला, लेकिन कंपनी ने इसे डेवलप नहीं किया. आरोप है कि रॉबर्ट वाड्रा ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए इस जमीन पर कमर्शियल लाइसेंस हासिल किया.

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इसके बाद सितंबर 2012 में यह जमीन लगभग 58 करोड़ में रियल एस्टेट कंपनी DLF को बेच दी गई. आरोप है कि कम दाम में जमीन खरीदकर अत्यधिक मुनाफ़ा कमाया गया और मनी‑लॉन्ड्रिंग की गई.

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