अमरनाथ तीर्थयात्रियों को लगाया गया था RFID बैंड, लेकिन अब भी हैं कई लापता

अमरनाथ यात्रा के दौरान बादल फटने की घटना के तीन दिन गुजर गए हैं लेकिन अब भी कई लोग गायब हैं. प्रशासन के पास अब भी उनकी कोई जानकारी नहीं है.

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नई दिल्ली:

अमरनाथ यात्रा के दौरान बादल फटने की घटना के तीन दिन गुजर गए हैं लेकिन अब भी कई लोग गायब हैं. प्रशासन के पास अब भी उनकी कोई जानकारी नहीं है. हालांकि इस बार सरकार की तरफ से सुरक्षा के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (RFID) आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लगाया गया था. जमीनी स्तर पर अधिकारियों ने माना है कि आरएफआईडी ऐसी घटनाओं के दौरान उपयोगी साबित नहीं होता है.बचाव अभियान में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बहुत कम ही लगाए गए थे और उसके सिग्नल काम नहीं करते हैं.

अधिकारी के अनुसार, अब तक एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 26,000 लोग पवित्र गुफा की ओर जा रहे थे. लेकिन अगले दिन कितने वापस आए, इसकी मैनुअली गिनती की जा रही है, हेड काउंट अभी भी जारी है और डेटा एकत्र किया जा रहा है.साथ ही उन्होंने कहा कि RFID डेटा स्वचालित नहीं है. हम यात्रियों से आरएफआईडी को अपने गले में लटकाने के लिए कहते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर इसे अपने बैग या जेब में रखते हैं और इस वजह से डेटा ट्रांसमिशन बाधित होता है. बचाव कार्यों में शामिल सुरक्षा अधिकारियों ने यह भी कहा कि अगर कोई शख्स डूब जाता है या कीचड़ में फंस जाता है जैसे अचानक बाढ़ के बाद हुआ था.

ऐसे में आरएफआईडी सिग्नल संचारित करना बंद कर देता है.एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हम मैन्युअल रूप से टैली बना रहे थे और प्रत्येक व्यक्ति से फोन के माध्यम से संपर्क कर रहे थे," शुक्रवार को शाम 4 बजे तक यह दर्शाता है कि 8,000 तीर्थयात्रियों ने दर्शन पूरा कर लिया था.एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बचाव अभियान अभी भी जारी है, हालांकि सोमवार को किसी भी लपता व्यक्ति को बरामद नहीं किया गया.सेना की तरफ से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. ग्लेशियरों के नीचे भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.यात्रा 7,000 तीर्थयात्रियों के एक और जत्थे के साथ सोमवार को फिर से शुरू हुई.

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लेकिन इससे पहले कि वे नुनवान शिविर से अपनी यात्रा शुरू करते, प्रत्येक तीर्थयात्री को एक ट्रैकिंग उपकरण दिया गया. हालांकि पिछले सबूत बताते हैं कि ये डिवाइस यात्रियों के लाइव लोकेशन को बताने में सक्षम नहीं है. सवाल यह भी उठ रहे हैं कि नाले के करीब में टेंट लगाने की इजाजत कैसे दी गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस बात की जांच की मांग की है कि इतने संवेदनशील इलाके में लंगर के लिए टेंट लगाने की अनुमति कैसे दी गई.  इस बीच, एक वैकल्पिक मार्ग का निर्माण किया गया है, क्योंकि पहले से बनाया गया मार्ग पानी में बह गया है. एक अधिकारी ने कहा कि यात्रियों के लिए जलमार्ग से दूर पवित्र गुफा के लिए एक अलग मार्ग बनाने की तत्काल आवश्यकता थी, इसलिए एक नया मार्ग बनाया गया है."

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