SC/ST कोटे में कोटा, सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें

SC/ST आरक्षण के भीत कोटा को अब सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दे दी है. सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने गुरुवार को एससी/एसटी कोटे के भीतर कोटा देने को मान्यता दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब राज्यों के भीतर नौकरियों में आरक्षण देने के लिए कोटा में कोटा दिया जा सकता है. 2004 के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज लिया गया यह फैसला बहुत अहम माना जा रहा है. तो चलिए आपको बताते हैं कि इस फैसले से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें.

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(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
  1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा एससी-एसटी आरक्षण में अधिक पिछड़े वर्ग को अलग कोटा देने को मान्यता दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी में ऐसी श्रेणियां हैं, जो सदियों से उत्पीड़न का सामना कर रही हैं. 
  2. बता दें कि इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए एससी/एसटी को उपश्रेणियों में वर्गित करने का अधिकार नहीं है. इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है और कोटे में कोटा देने को मान्यता दे दी है. 
  3. सुप्रीम कोर्ट ने बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्यों का कर्तव्य है. एससी-एसटी के अंतर्गत ऐसी श्रेणियां हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्हें कैटिगरी में बांटा जा सकता है. 
  4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. यह एससी-एसटी को उप वर्गीकरण की अनुमति देता है. 
  5. एससी-एसटी में ऐसी श्रेणियां भी हैं जो सदियों से ही उत्पीड़न का सामना करती आ रही हैं और आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ ने 6.1 के तहत यह फैसला सुनाया है. 
  6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण के तहत कुछ ही ऐसी जातियां हैं जो इसका लाभ उठा पा रही हैं. ऐसे में अन्य जातियों को भी इसका फायदा मिलना चाहिए और इस वजह से इसका उप वर्गीकरण किया जा सकता है. 
  7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रीमीलेय की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें आरक्षण से बाहर लाने की नीति बनाई जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी के क्रीमीलेयर और मेला ढोने वाले के बच्चों की तुलना नहीं की जानी चाहिए और जिन श्रेणियों को कोटे का लाभ नहीं मिल पा रहा है, उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए. 
  8. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सच्ची समानता हासिल करनी है तो उसका यही एकमात्र तरीका है. 
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