- अलास्का में पुतिन ने कहा कि ट्रंप सरकार आने के बाद द्विपक्षीय व्यापार 20 पर्सेंट बढ़ गया है.
- उन्होंने यह बात उस समय कही, जब वह ट्रंप के साथ बहुचर्चित बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे.
- ट्रंप एक तरफ रूस से व्यापार के लिए भारत पर टैरिफ थोप रहे हैं, दूसरी तरफ खुद कारोबार बढ़ा रहे हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर मीटिंग करने अमेरिका के अलास्का आए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने राष्ट्रपति ट्रंप की कलई खोलकर रख दी. ट्रंप एक तरफ रूस से व्यापार करने के लिए पूरी दुनिया पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. भारत पर तो उन्होंने 50 पर्सेंट का टैरिफ थोप दिया है, लेकिन अब खुद पुतिन ने बताया है कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार बढ़ रहा है. गौर करने की बात ये है कि ऐसा ट्रंप के शासन में हो रहा है.
ट्रंप शासन में अमेरिका-रूस व्यापार 20% बढ़ा
अलास्का के एंकोरेज में, यूक्रेन युद्ध के मसले पर बहुचर्चित मीटिंग के बाद ट्रंप और पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बैठक के बारे में जानकारी दी थी. उसी दौरान पुतिन ने कहा कि संयोग से जब से (अमेरिका में) नया (ट्रंप) प्रशासन सत्ता में आया है, तब से (रूस-अमेरिका में) द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने लगा है. हालांकि यह अभी प्रतीकात्मक है, फिर भी वृद्धि दर 20 प्रतिशत है.
पुतिन ने आगे कहा कि हमारे पास एकसाथ मिलकर काम करने और डील करने के कई सारे रास्ते हैं. रूस और अमेरिका के बीच निवेश और व्यापारिक सहयोग में काफी संभावनाएं हैं. दोनों देश एकदूसरे को ट्रेड, डिजिटल, हाईटेक टेक्नोलोजी और स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे क्षेत्रों में काफी ऑफर कर सकते हैं.
इससे पहले भारत ने खोली थी ट्रंप की कलई
पुतिन का यह बयान भारत के उस दावे की पुष्टि करता है, जो उसने ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाए जाने पर अमेरिका और यूरोप की पोल खोलते हुए दिया था. यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस से व्यापार पर लगाए गए प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 4 अगस्त को बताया था कि 27 देशों के संगठन यूरोपीय संघ और रूस के बीच पिछले साल 67.5 अरब यूरो की वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. 2023 में सर्विस सेक्टर में 17.2 अरब यूरो का व्यापार किया गया था. यह भारत के रूस के साथ उस साल और उसके बाद हुए कुल व्यापार से भी अधिक है.
उन्होंने बताया था कि यूरोप और रूस के बीच सिर्फ एनर्जी ही नहीं बल्कि उर्वरक, खनन उत्पादों, केमिकल्स, लौह, इस्पात, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट उपकरणों की भी व्यापार होता है. यूरोपीय देशों ने 2024 में रूस से रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन एनएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) खरीदी थी, जो 2022 के पिछले रिकॉर्ड 15.21 मिलियन टन से भी ज्यादा है.
अमेरिका रूस से क्या-कितना खरीदता है, बताया
जायसवाल ने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा था कि वह अपनी न्यूक्लियर इंडस्ट्री के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड का आयात जारी रखे हुए है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम खरीद रहा है. उर्वरक और केमिकल्स का भी आयात कर रहा है. ऐसे में रूस से तेल और सैन्य सामान खरीदने के नाम पर भारत के ऊपर टैरिफ थोपना अन्यायपूर्ण और अनुचित है. उन्होंने ये भी कहा था कि भारत अन्य देशों की तरह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए कदम उठाएगा.
आंकड़े बताते हैं, अमेरिका-रूस व्यापार जारी
रूस के फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर तगड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं. पहले अमेरिका और रूस के बीच काफी व्यापार होता था. लेकिन आर्थिक प्रतिबंधों के बाद इसे काफी कम कर दिया गया है. हालांकि पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं. यूनाइटेड स्टेट्स सेंसस ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि 2025 की पहली छमाही में रूस तेल का अमेरिकी आयात घटकर 2.50 अरब डॉलर रह गया है, जो चार साल पहले 14.14 अरब डॉलर था.
रूस से क्या-क्या खरीदता है अमेरिका?
ऑब्जरवेटरी ऑफ इकनोमिक कॉम्प्लेक्सिटी (OEC) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मई 2025 में अमेरिका ने रूस को 51.4 मिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया था, जब 540 मिलियन डॉलर का आयात किया. इस तरह दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार घाटा 488 मिलियन डॉलर का रहा.
ओईसी रिपोर्ट बताती है कि मई 2025 में अमेरिका ने रूस से मुख्य रूप से 122 मिलियन डॉलर कीमत के रेडियोएक्टिव केमिकल, नाइट्रोजन फर्टिलाइजर और प्लेटिनम की खरीद की थी. इसके अलावा कीमती पत्थर व धातु, अकार्बनिक रसायन, लकड़ी व लकड़ी के सामान, परमाणु रिएक्टर व मशीनरी, तैयार एनिमल फूड, अन्य बेस मटीरिय, विमान-अंतरिक्ष यान के पुर्जे, लौह-इस्पात और तिलहन आदि शामिल थे.