पंजाब की AAP यूनिट ने कहा- 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ "नहीं करेंगे गठबंधन" : सूत्र

सितंबर की बैठक के बाद सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया था कि कुछ राज्यों में सीट-बंटवारे को लेकर बातचीत आसान होने की संभावना है. पंजाब और दिल्ली, जहां 'आप' सत्ता में है, में विपक्ष का गठंबधन खतरे में है.

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आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (फाइल फोटो).
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  • पंजाब कांग्रेस पहले ही राज्य में अकले चुनाव लड़ने की बात कह चुकी है
  • मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के बीच रस्साकशी सामने आई
  • सपा ने कहा था, लगता है कि कांग्रेस हमारे साथ साझेदारी नहीं करना चाहती
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नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (AAP) की पंजाब यूनिट अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को तैयार नहीं है. सूत्रों ने आज एनडाटीवी को यह जानकारी दी. 'आप' ने पिछले साल हुए पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराया था.  यह  'आप' का अंतिम रुख नहीं है, लेकिन यह सीट-बंटवारे की बातचीत शुरू करने के लिए दिल्ली में हुई बैठक के एक दिन बाद मिले संकेत हैं जो इंडिया (INDIA) गठबंधन के भीतर बढ़ते मतभेदों को उजागर कर रहे हैं. विपक्ष के इस गठबंधन में दोनों दल- कांग्रेस और 'आप' सदस्य हैं. 

गठबंधन को लेकर कांग्रेस की पंजाब इकाई भी पूर्व में चिंता जता चुकी हैं. कांग्रेस के पंजाब के  प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने दावा किया है कि पार्टी सभी 13 लोकसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि "हमारी सहमति के बिना" कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा. इसे एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है. 

आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य सदस्यों के बीच चर्चा जारी है. हालांकि आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल जो कि इस मामले में संभवत: अंतिम फैसला लेंगे, आज सुबह 10 दिन के ध्यान शिविर के लिए रवाना हो गए हैं.

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इंडिया गठबंधन की पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लंबे समय से गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. शुरुआत में एक सितंबर की बैठक में संकल्प लिया गया था कि "जहां तक संभव हो सके मिलकर चुनाव लड़ेंगे." हालांकि इसके साथ एक बड़े सवाल ने जन्म लिया कि, क्या यह सभी दल बीजेपी की चुनाव जीतने वाली मजबूत मशीनरी को हराने के लिए लंबे समय तक एक साथ रह सकते हैं?

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विपक्ष के गठबंधन में पहली दरार पिछले महीने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी में दिखाई दी, जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच 18 सीटों को लेकर खींचतान हुई. नाराज समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा कि, "लगता है कि कांग्रेस हमारे साथ साझेदारी नहीं करना चाहती है."

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मध्य प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई और राज्य की 230 सीटों में से केवल 66 सीटें जीत पाई (पिछले चुनाव में उसने 114 सीटें जीती थीं). बीजेपी ने 163 सीटें जीतकर हिंदी हृदय प्रदेश में अपनी सत्ता बरकरार रखी.

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इंडिया की पार्टियों ने आपस में वोट काटे

सीट-बंटवारे को लेकर उस झगड़े का मुद्दा इंडिया गठबंधन की एक अन्य सदस्य तृणमूल ने उठाया था. पार्टी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "इंडिया की पार्टियों ने कुछ वोट काटे... हमने सीट-बंटवारे की व्यवस्था का सुझाव दिया. अब वोटों के बंटवारे के कारण वे (कांग्रेस) हार गए."

सितंबर की बैठक के बाद सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया था कि कुछ राज्यों में सीट-बंटवारे को लेकर बातचीत आसान होने की संभावना है. पंजाब और दिल्ली, जहां 'आप' सत्ता में है, में विपक्ष का गठंबधन खतरे में है.

बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल, कांग्रेस और सीपीआईएम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के बीच बहुत कम नजदीकियां हैं. इसके चलते गठबंधन में सीट बंटवारे में व्यापक बाधा आने के आसार हैं. सबसे अधिक संभावित नतीजे यही होंगे कि हर पार्टी अपने दम पर लड़ेगी और ऐसे में यह दल इंडिया गठबंधन के उद्देश्य को विफल करते ही दिखाई देंगे.

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