लुधियाना गैस रिसाव मामले की जांच के लिए पंजाब पुलिस ने बनाई SIT

जिले के अधिकारियों ने कहा कि हाइड्रोजन सल्फाइड के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए नालियों और सीवरेज लाइनों में कास्टिक सोडा डाल कर इलाके में रात भर परिशोधन मुहिम चलाई गई है.

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लुधियाना:

पंजाब के लुधियाना के ग्यासपुरा इलाके में कथित तौर पर जहरीली गैस के रिसाव के कारण हुई 11 लोगों की मौत के मामले की जांच पंजाब पुलिस का पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. पंजाब के प्रमुख औद्योगिक केंद्र की घनी आबादी वाले इलाके में रविवार को यह हादसा हुआ था. जिले के अधिकारियों ने कहा कि हाइड्रोजन सल्फाइड के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए नालियों और सीवरेज लाइनों में कास्टिक सोडा डाल कर इलाके में रात भर परिशोधन मुहिम चलाई गई.

अधिकारियों ने कहा कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दस्ते सीवर लाइन में जहरीली गैस के निर्माण के संभावित कारणों पर गौर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गैस का प्रभाव अब क्षेत्र में नहीं है. हाइड्रोजन सल्फाइड, जिसे सीवर गैस भी कहा जाता है, जहरीली होती है और इसमें सड़े हुए अंडे जैसी गंध आती है तथा यह गैस बेहोशी और मौत का कारण बन सकती है.

लुधियाना के पुलिस आयुक्त मनदीप सिंह सिद्धू ने यहां मीडिया से बात करते हुए कहा कि एसआईटी का नेतृत्व पुलिस उपायुक्त (जांच) हरमीत सिंह हुंदल करेंगे. उन्होंने कहा कि टीम इस बात की जांच करेगी कि कहीं किसी औद्योगिक इकाई ने सीवर लाइन में कचरा तो नहीं डाला. सिद्धू ने कहा कि पुलिस इस पर पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सहयोग लेगी और अगर इसके अधिकारी सहयोग नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

अधिकारियों ने पहले कहा था कि इलाके में सीवर में कुछ रसायन डाले जाने के बाद जहरीली गैस निकली होगी. अधिकारी इसकी पुष्टि के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं. एक मजिस्ट्रेट जांच का आदेश पहले ही दिया जा चुका है, और पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भादंवि की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

शहर के ग्यासपुरा इलाके में रविवार को कथित रूप से जहरीली गैस के रिसाव के बाद तीन बच्चों समेत 11 लोगों की मौत हो गयी थी. मरने वाले सभी लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के थे. प्रशासन ने मृतकों के परिजनों के लिये दो-दो लाख रुपये और घायलों के लिये 50 हजार रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी.

इस बीच, लुधियाना की उपायुक्त सुरभि मलिक ने सोमवार को कहा कि क्षेत्र का परिशोधन कर दिया गया है. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और नगर निगम की टीम ने रात भर क्षेत्र में परिवेशी वायु गुणवत्ता का आकलन किया. उन्होंने कहा, “हवा में अब हाइड्रोजन सल्फाइड नहीं पाया गया है.”

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दलों ने समय-समय पर क्षेत्र के मैनहोल की भी जांच की. उन्होंने कहा, “रात के दौरान, मैनहोल में हाइड्रोजन सल्फाइड का स्तर उच्च था, लेकिन रासायनिक परिशोधन प्रक्रिया के बाद यह नीचे चला गया है”. उपायुक्त ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम क्षेत्र में स्थित उद्योगों के पानी के प्रवेश और निकास की जांच के लिए मानचित्रण कर रही है.

उन्होंने कहा कि हवा की गुणवत्ता ठीक पाए जाने के बाद घेराबंदी का दायरा भी 250 मीटर से घटाकर 25 मीटर कर दिया गया है. गैस रिसाव के बाद अधिकारियों ने रविवार को इलाके की घेराबंदी कर दी थी. इस बीच, लुधियाना स्थित एक औद्योगिक निकाय ने गैस रिसाव त्रासदी के लिए कुछ सरकारी विभागों द्वारा “उत्पीड़न” की आशंका जताई.

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चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग (सीआईसीयू) के अध्यक्ष उपकार सिंह आहूजा ने एक बयान में कहा, “उद्योग ने कारखानों को चलाने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा जारी किए गए मानदंडों और दिशानिर्देशों को लागू किया और इस घटना के पीछे का कारण कुछ और ही है.”

आहूजा ने कहा कि सरकार को घटना का मूल कारण विश्लेषण करना चाहिए. आहूजा ने बाद में एक वीडियो संदेश में कहा,“उद्योग एक आसान लक्ष्य है. जब भी ऐसी कोई घटना होती है, इसके लिए उद्योग को दोषी ठहराया जाता है”. उन्होंने हालांकि कहा कि अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन वे किसी निर्दोष उद्योगपति को परेशान नहीं होने देंगे.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)
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