- पुणे पुलिस की याचिका खारिज करते हुए किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को बालिग की तरह केस चलाने की अनुमति नहीं दी है.
- इस दुर्घटना में दो सॉफ्टवेयर पेशवरों की मौत हुई थी, जिनके परिवार ने बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.
- आरोपी उस समय सत्रह वर्ष का था और शराब पीकर कार चलाते हुए दो युवकों को टक्कर मारी थी, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई.
पुणे पोर्श एक्सीडेंट मामले में पुणे पुलिस को किशोर न्याय बोर्ड से झटका लगा है. मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए बोर्ड ने पुणे पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें नाबालिग आरोपी को एडल्ट की तरह ट्रीट करने की मांग की थी. यानी किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी को बालिग की तरह ही समझते हुए केस चलाने की अनुमति नहीं दी है.इस दुर्घटना में दो सॉफ्टवेयर पेशवरों की मौत हो गई थी. दोनों के पिता ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि ये पैसा और पावर का एक और उदाहरण है. इससे एक बार फिर बोर्ड की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगेगा.
पिता सुरेश कोष्टा ने उठाए बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल
NDTV के साथ इंटरव्यू में अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने कहा कि एक साल से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा बर्खास्त किए गए बोर्ड सदस्यों की जगह किसी की नियुक्ति नहीं की गई तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि एक महीने के अंदर ही लोगों की नियुक्ति कर दी गई और फैसले ले लिए गए... इसके बाद तो उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठेंगे ही. उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही पूरे देश ने किशोर न्याय बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई थी, जो व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चला रहा था, उसे किशोर कैसे माना जा सकता है. मुझे लगता है कि उसके साथ वयस्क जैसा व्यवहार करने का कोई सवाल ही नहीं होना चाहिए था.
वे बड़े और पैसे वाले लोग- ओम प्रकाश अवधिया
अनीश अवधिया के पिता ओम प्रकाश अवधिया ने कहा कि 'शुरू से ही यह स्पष्ट था कि हमें क्या मिलने वाला है.' उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि ऐसी घटना न घटे. अब जब ये हो गया है तो हम क्या कह सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या वह सोचते हैं कि यह अभी भी पैसा, पावर और इन्फ्ल्यूएंस का खेल है. उन्होंने कहा कि हालांकि ये उनके सामने नहीं हुआ, लेकिन स्पष्ट है कि ऐसा कुछ वास्तव में हो रहा है. 'वे बड़े और पैसे वाले लोग हैं'. वे अपने बच्चों के हाथों में 3 करोड़ रुपये की कार थमा देते हैं. इतना पैसा पार्टी करने के लिए दे देते हैं. आप इससे ही सोच सकते हैं.
जानें क्या है मामला
बता दें कि इस मामले का आरोपी उस समय 17 साल का था और 19 मई 2024 को दोस्तों के साथ एक्जाम रिजल्ट का जश्न मना रहा था.उन्होंने जमकर शराब पी थी और सिर्फ 90 मिनट में 48000 रुपये का बिल भी बन गया था. वापस लौटते समय आरोपी ने पिता की कार से 24 साल के दो सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स को टक्कर मार दी थी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी. पुलिस पर मामले को ठीक से न संभालने का आरोप लगाया गया था. आरोपी के पिता शहर के एक प्रमुख व्यवसायी हैं. आज के फैसले से विवाद और गहराने की उम्मीद है.
पिछले साल बोर्ड द्वारा उसे ज़मानत देने की शर्तों में सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के लिए कहा गया था जिस पर लोगों का जमकर गुस्सा फूटा था. इसके बाद उसे पुणे शहर के एक सुधार गृह में भेज दिया गया था. बंबई उच्च न्यायालय ने 25 जून 2024 को आरोपी को तुरंत रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा था कि किशोर न्याय बोर्ड का उसे सुधार गृह भेजने का आदेश गैरकानूनी था और किशोरों से संबंधित कानून का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए. पुणे की एक सत्र अदालत में इस मामले में 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए बहस जारी है. आरोपियों में किशोर के माता-पिता के अलावा ससून अस्पताल के डॉ. अजय टावरे और श्रीहरि हल्नोर तथा कर्मचारी अतुल घाटकांबले, बिचौलिये बशपक मकंदर और अमर गायकवाड़ तथा आदित्य अविनाश सूद, आशीष मित्तल और अरुण कुमार सिंह भी शामिल हैं. किशोर की मां जमानत पर बाहर है, जबकि अन्य नौ आरोपी जेल में हैं.