पुणे के पुलिसकर्मी ने ऑनलाइन गेमिंग ऐप से जीते 1.5 करोड़ रुपये, क्या ये जुआ है? पूछताछ जारी

पुलिसकर्मी का कहना है कि वह इस पैसे का उपयोग अपने घर का लोन चुकाने में करेगा. शेष आधी राशि की एफडी करवाएगा और इससे प्राप्त ब्याज का उपयोग अपने बच्चों की शिक्षा के लिए करेगा. 

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पिंपरी चिंचवड़ पुलिस कमिश्नरेट के सब इंस्पेक्टर सोमनाथ जेंडे अपनी पत्नी के साथ.

पुणे :

पिंपरी चिंचवड़ पुलिस कमिश्‍नरेट (Pimpri Chinchwad Police Commissionerate) के सब इंस्‍पेक्‍टर सोमनाथ जेंडे ने लोकप्रिय ऑनलाइन फैंटेसी गेमिंग एप ड्रीम 11 (Dream 11) पर डेढ़ करोड़ रुपये की राशि जीती है. सोमनाथ जेंडे को उनके अकाउंट में पैसे मिलने शुरू हो गए थे. हालांकि उनकी यह खुशी बहुत ही कम समय के लिए रही. उन्‍हें अब पूछताछ का सामना करना पड़ रहा है. मुख्य सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या पुलिस सेवा में सक्रिय रहते हुए उन्होंने इस तरह के खेल में भाग लिया?

जेंडे ने कहा, "1.5 करोड़ रुपये को लेकर मुझे लगा कि कोई पैसा नहीं मिलेगा, लेकिन कल 2 लाख रुपये का लेनदेन होने के साथ ही उन्होंने इसमें से 60,000 रुपये काट लिए. मेरे खाते में एक लाख चालीस हजार रुपये आए हैं."

पुलिसकर्मी का कहना है कि वह इस पैसे का उपयोग अपने घर का लोन चुकाने में करेगा. शेष आधी राशि की एफडी करवाएगा और इससे प्राप्त ब्याज का उपयोग अपने बच्चों की शिक्षा के लिए करेगा. 

जांच रिपोर्ट के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी

पिंपरी चिंचवड़ के एसीपी सतीश माने ने कहा, "क्या कोई पुलिस विभाग में काम करते हुए ऐसे ऑनलाइन गेम में भाग ले सकता है? क्या यह नियमों का पालन करता है? क्या यह गेम कानूनी है? क्या कोई इस तरह से प्राप्त धन के बारे में मीडिया में बात कर सकता है? क्या यह सब नियमों के तहत है? इस सबकी जांच की जाएगी. डीसीपी स्वप्ना गोरे को जांच दी गई है और रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.'' 

ड्रीम 11 भारत का पहला गेमिंग स्‍टार्टअप 

ड्रीम 11 विभिन्न खेलों के लिए एक फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है, यह भारत का पहला गेमिंग स्टार्टअप है, जिसकी वैल्‍यू 1 अरब डॉलर (करीब ₹ 7,535 करोड़ रुपये) से अधिक है. फैंटेसी गेमिंग और जुए की समानता के कारण इसे अतीत में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. कंपनी की स्थापना 2008 में हुई थी और जिसका अब 11 करोड़ से अधिक यूजर्स का आधार है. कंपनी का कहना है कि उसके प्लेटफार्म पर लगाए गए दांव कौशल के खेल हैं, जुआ/सट्टेबाजी के समान नहीं हैं. 

'फैंटेसी लीग को अदालतों ने दी है मान्‍यता' 

सुप्रीम कोर्ट के वकील हिमांशु शेखर ने कहा, "फैंटेसी लीग को हमारे देश में अदालतों द्वारा मान्यता दी गई है, ये जीएसटी और टैक्स के दायरे में भी आते हैं. इसलिए उनकी वैधता के बारे में कोई संदेह नहीं बचा है.” सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कहा, "ऐसे तीन-चार मामले थे जो विभिन्न उच्च न्यायालयों में आए थे और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिए थे.  इसलिए यह तय हो गया है कि फैंटेसी गेम्‍स कौशल के खेल हैं और कौशल के खेल हमारे देश में कानूनी हैं. इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है." 

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