सरकार ने संसद के मानसून सत्र में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया था.लेकिन विपक्ष के भारी विरोध के बाद सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का फैसला किया.लोकसभा अध्यक्ष ने 31 सदस्सीय संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर दिया है.बीजेपी ने इस विधेयक का विरोध करने वालों को मुसलमानों का विरोधी बताया है.वहीं विपक्ष इसे ध्रुवीकरण करने वाला विधेयक बता रहा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने इसको लेकर मुसलमानों को विश्वास में नहीं लिया है. कहा यह जा रहा है कि देश में रेलवे और सेना के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ बोर्डों के पास है. इनकी अनुमानित कीमत करीब एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये है. आइए जानते हैं कि देश में इस समय वक्फ के नाम पर कितनी संपत्ति है और किस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में है.
देश में वक्फ संपत्तियों का विवरण
देश में वक्फ संपत्तियों और उनकी स्थिति का पता लगाने के लिए बनाई गई वेबसाइट में इसका ब्योरा दर्ज है. इस वेबसाइट पर वक्फ की एस्टेट, अचल और चल सपंत्तियों का व्योरा दिया गया है. इसके मुताबिक देश में वक्फ के तीन लाख 56 हजार 47 एस्टेट हैं. वहीं अचल वक्फ संपत्तियों की संख्या आठ लाख 72 हजार 324 है. इसी तरह से चल संपत्तियों की संख्या 16 हजार 713 हैं.इस बेवसाइट के मुताकि अब तक वक्फ की तीन लाख 29 हजार 995 संपत्तियों का डिडिटलाइजेशन किया जा चुका है.
अगर वक्फ के एस्टेट की बात करें तो देश में सबसे अधिक वक्फ एस्टेट उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ के पास है. इनकी संख्या एक लाख 24 हजार 735 है. वहीं सबसे कम वक्फ के एस्टेट की बात करें तो यह चंडीगढ वक्फ बोर्ड के पास हैं. उसके पास केवल 33 वक्फ एस्टेट हैं.
वक्फ की अचल संपत्तियां कितनी हैं
वहीं अगर देश में मौजूद वक्फ की अचल संपत्तियों की बात करें तो इस मामले में भी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ आगे है. उसके पास दो लाख 17 हजार 161 अचल संपत्तियां हैं. दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ वक्फ के पास 80 हजार 480 वक्फ संपत्ति है. वहीं सबसे कम अचल संपत्ति दादर नगर हवेली के पास है. जिसके पास केवल 34 अचल संपत्तियां हैं.देश में वक्फ की अचल संपत्तियों में से केवल तीन लाख 39 हजार 505 संपत्तियों पर ही कोई अतिक्रिमण नहीं हुआ है. इसी के साथ 13 हजार 202 संपत्तियां मुकदमेबाजी में फंसी हुई हैं. इनमें आतंरिक और बाहरी मामले शामिल हैं. वहीं 58 हजार 896 संपत्तियां अतिक्रमण का शिकार हैं. इसके अलावा चार लाख 36 हजार 169 संपत्तियों के बारे में बोर्डों के पास कोई सूचना नहीं है तो 24 हजार 550 अन्य की श्रेणी में हैं.
चल संपत्तियों के मामले में तमिलनाडु बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ सबसे आगे है. उसके पास आठ हजार 605 चल संपत्तियां हैं. इस वेबसाइट के मुताबिक मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम में किसी भी तरह की कोई वक्फ संपत्ति नहीं है.
क्या होता है वक्फ
वक्फ का मतलब होता है खुदा के नाम अर्पित की गई संपत्ति. अब आइए जानते हैं कि कौन सी संपत्ति वक्फ की कहलाती है. दरअसल कोई भी चल या अचल संपत्ति वक्फ हो सकती है.इसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी वयस्क व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है.अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक मकान हैं. वह उनमें से किसी एक या एक से अधिक को वक्फ करना चाहता है तो वह व्यक्ति अपनी वसीयत में उस संपत्ति को दान करने या वक्फ करने के बारे में लिख सकता है.संबंधित व्यक्ति की मौत के बाद वक्फ की गई संपत्ति का इस्तेमाल उसका परिवार नहीं कर सकता है.उस संपत्ति को वक्फ का संचालन करने वाली संस्था आगे से सामाजिक काम में इस्तेमाल करेगी.वक्फ की संपत्ति का कोई मालिक नहीं होता है.वक्फ की संपत्ति का मालिक खुदा को माना जाता है.लेकिन उनका संचालन करने के लिए कुछ संस्थाएं बनाई जाती हैं.
वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड का गठन किया जाता है. ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बनाए जाते हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड अलग-अलग हैं. राज्य के वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों के रखरखाव, उनसे होने वाली आय आदि का हिसाब-किताब रखते हैं. वहीं केंद्रीय स्तर की सेंट्रल वक्फ काउंसिल राज्यों के वक्फ बोर्डों को दिशा-निर्देश देती है.
वक्फ का इस्तेमाल कैसे होता है
देशभर में बने कब्रिस्तान वक्फ भूमि का हिस्सा होते हैं. देश के सभी कब्रिस्तान का रखरखाव वक्फ ही करते हैं. देश में इस समय 30 वक्फ बोर्ड हैं. ये वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं. ये बोर्ड वक्फ की संपत्ती पर सामाजिक कल्याण के लिए बने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, डिस्पेंसरी और मुसाफिरखानों का भी मदद करते हैं.
देश में वक्फ की संपत्तियों के लिए कानून बनाने की शुरुआत 1913 में हो गई थी.इसके बाद से वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून में समय-समय तक कई संशोधन हो चुके हैं. पिछला संशोधन 2013 में हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ को लेकर 1998 में सुनाए अपने फैसले में कहा था कि एक बार वक्फ की गई संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ ही रहती है.