प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक

पार्टी को जहां 2017 में यूपी में सात विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार कांग्रेस बमुश्किल दो सीटें ही हासिल कर पाई. यही नहीं, पार्टी का वोट प्रतिशत भी निराशाजनक रूप से गिरकर 2.5% तक आ गया.

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बैठक में यूपी के शीर्ष नेता भी मौजूद रहे
नई दिल्‍ली:

UP polls 2022: सियासी रूप से बेहद अहम राज्‍य उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस के बेहद कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) बैठक कर रही हैं. गौरतलब है कि राजनीति से जुड़ने के बाद,  करीब चार वर्ष पहले  प्रियंका को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी कांग्रेस इकाई में 'जान फूंकने' की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी. प्रियंका की ओर से इस दिशा में प्रयास भी किए गए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका  'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के स्‍लोगन के साथ मैदान में उतरीं लेकिन पार्टी का प्रदर्शन वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा. पार्टी को जहां 2017 में यूपी में सात विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार कांग्रेस बमुश्किल दो सीटें ही हासिल कर पाई. यही नहीं, पार्टी का वोट प्रतिशत भी निराशाजनक रूप से गिरकर 2.5% तक आ गया.कांग्रेस महासचिव ने और पार्टी की यूपी प्रभारी प्रियंका दिल्‍ली के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित पार्टी के 'वार रूम' में समीक्षा बैठक की.

बैठक में यूपी के शीर्ष नेता भी मौजूद हैं. बैठक को दो दिन पहले प्रियंका ने विधानसभा चुनावों वाले पांच राज्‍यों में प्रदर्शन को लेकर रिपोर्ट, कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्‍ल्‍यूसी) की बैठक में पेश की थी.  इस बैठक में प्रियंका की मां और पार्टी की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने हाल की करारी हार को लेकर इस्‍तीफे की पेशकश की लेकिन इसे स्‍वीकार नहीं किया गया.संसद के बजट सत्र के बाद पार्टी के आंतरिक चुनावों की तैयारी का निर्णय लिया गया. यूपी की बात करें तो राज्‍य में 1989 से कांग्रेस सत्‍ता से बाहर है. राज्‍य में पार्टी का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है.

वर्ष 2019 के आम चुनाव में तो राहुल गांधी को भी परिवार के गढ़ माने जाने वाले अमेठी में बीजेपी की स्‍मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था. अमेठी, वर्षों से कांग्रेस की मजबूत सीटों में से एक थी, जबकि दूसरी सीट सोनिया गांधी की रायबरेली है. अमेठी और रायबेरली की 10 विधानसभा सीटों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस  ने अखिलेश यादव की सपा के साथ गठजोड़ किया था जबकि इस बार पार्टी अकेले की चुनावी समर में उतरी थी. चुनावी रेस के दौरान कई प्रमुख नेता भी कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के साथ जुड़ गए, इन नेताओं में जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, राज्‍य के नेता शैलेंद्र दीक्षित, राकेश सचान, नरेश सैनी, हरिओम यादव आदि शामिल हैं.

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