प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार न्यूनतम लागत पर टीके विकसित करने के लिए गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को लेकर स्थानीय अनुसंधान के लिए वैज्ञानिकों को धन आवंटित करना चाहती है ताकि टीकाकरण के जरिये इस गंभीर बीमारी से सभी लड़कियों का बचाव सुनिश्चित किया जा सके.
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में, मैं लड़कियों को चपेट में लेने वाले सर्वाइकल कैंसर अनुसंधान के लिए हमारे वैज्ञानिकों को धन आवंटित करना चाहती हूं. मैं उन्हें बजट देना चाहता हूं और उन्हें टीके बनाने के लिए स्थानीय अनुसंधान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं. मेरा लक्ष्य देश में सभी लड़कियों का कम से कम लागत पर टीकाकरण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कैंसर से सुरक्षित हैं.''
भारत का कोविड टीकाकरण अभियान कैसे सफल हो गया और कैसे उन्होंने इस परिस्थिति में देश का नेतृत्व किया, इस बारे में मोदी ने विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए जरूरत के कदम उठाए और उन्हें आश्वस्त किया.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस बात पर जोर दिया कि वायरस के खिलाफ लड़ाई में सभी शामिल हैं और यह वायरस बनाम सरकार नहीं है. मैंने शुरू से इसे जीवन बनाम वायरस की लड़ाई के रूप में देखा.''
कोविड के दौरान जनता से संवाद किया- पीएम मोदी
दूसरा, उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने पहले दिन से देश के साथ खुलकर संवाद करना शुरू किया और एक उदाहरण स्थापित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया.
मोदी ने कहा, ‘‘मैंने लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए सार्वजनिक रूप से सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया. मैंने कुछ उपहास के बावजूद ताली, थाली, दीपक जलाने के लिए स्पष्ट आह्वान किया. इस लड़ाई में सभी को एकजुट करना मेरे लिए महत्वपूर्ण था. एक बार जब खुद को और दूसरों को बचाने का इरादा तय किया गया तो यह एक जन आंदोलन में बदल गया.''
उन्होंने कहा, ‘‘यह जन आंदोलन में तब्दील हो गया. क्योंकि लोकतंत्र में बल का कोई स्थान नहीं है. लोकतंत्र में लोगों को समझाने, शिक्षित करने और साथ लेकर चलने की जरूरत है. लोकतंत्र में शिक्षा और सहयोग प्रगति को आगे बढ़ाता है.'' मोदी ने कहा कि इस रणनीति ने टीकाकरण अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने और मेरी 95 वर्षीय मां ने सार्वजनिक रूप से टीके लगवाए. ऐसा कर हमने लोगों का विश्वास हासिल किया. मैंने उदाहरण पेश किया और लोगों का विश्वास हासिल किया कि इससे (टीके से) उनकी जान बच सकती है.''
उन्होंने बताया कि इस महामारी के कारण टीकाकरण की आवश्यकता पड़ी थी पर लोगों ने धार्मिक कारणों का हवाला देते हुए टीका लगवाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल दृढ़ थे और लोगों की जान बचाने के लिए टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया था.
मोदी ने कहा कि टीकों का प्रतिरोध सदियों से दुनिया भर में एक चुनौती रहा है और चर्चा के माध्यम से हमें इससे उबरने में मदद मिल सकती है.
प्रोद्योगिकी देश की जरूरत
प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर स्वास्थ्य को उन तीन क्षेत्रों में शामिल करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने गांवों में दो लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य केंद्र बनाए हैं जो आधुनिक तकनीक के माध्यम से सीधे सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों से जुड़े हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रारंभ में, रोगियों ने सोचा कि डॉक्टर के बिना व शारीरिक रूप से उनकी जांच किए बगैर उनका सही निदान कैसे किया जा सकता है. लेकिन बाद में उन्हें समझ में आया कि सही तकनीकी उपकरणों से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठा डॉक्टर भी सही तरीके से निदान कर सही सलाह दे सकता है. इसलिए लोगों का विश्वास बढ़ रहा है.''
उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से बड़े अस्पतालों में होता है, आयुष्मान आरोग्य मंदिर में चीजें हो रही हैं. तो यह डिजिटल प्लेटफॉर्म की ताकत है.''
डिजिटल से कार्य आसान हुए
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे कोविड के दौरान, जब दुनिया वैक्सीन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए संघर्ष कर रही थी, भारत में लोग आसानी से को-विन ऐप का उपयोग करके यह पता लगा रहे थे कि उन्हें वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कितनी दूर यात्रा करने की आवश्यकता है.
मोदी ने कहा कि इसी माध्यम से उन्हें एक उपयुक्त समय स्लॉट मिल जाता था और सेकेंड के भीतर अपना प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेते थे. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे अनुभव में, डिजिटल प्रौद्योगिकी ने हमारे देश को काफी लाभान्वित किया है.''