बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले में NCR में 22 मामले दर्ज करने की तैयारी... सुप्रीम कोर्ट को CBI ने दी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने CBI की जांच पर संतोष जताया और आगे की जांच के लिए वक्त दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर जांच में बाधा आती है तो अदालत आने की छूट है.

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  • सीबीआई एनसीआर क्षेत्र में विभिन्न बिल्डरों के खिलाफ 22 मामले दर्ज करने की योजना बना रही है और जांच जारी है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर संतोष जताते हुए जांच पूरी करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है.
  • जांच में अब तक लगभग 58 संपत्तियों की छानबीन की गई है और एक हजार से अधिक गवाहों से पूछताछ हुई है
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बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले में CBI एनसीआर में 22 मामले दर्ज करने की तैयारी में है. कई बिल्डरों पर शिकंजा कस सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले के लिए हरी झंडी दिखा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने CBI की जांच पर संतोष जताया और आगे की जांच के लिए वक्त दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर जांच में बाधा आती है तो अदालत आने की छूट है. दरअसल, घर खरीदारों को परेशान करने के लिए बैंकों के साथ नापाक साठगांठ के मामले में सीबीआई की जांच के दायरे में और बिल्डर आ सकते हैं. केंद्रीय एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह NCR में विभिन्न बिल्डरों के खिलाफ 22 मामले दर्ज करने की योजना बना रही है. साथ ही अन्य शहरों के बिल्डरों की जांच के लिए और समय मांगा है. सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि जांच जारी है और इसे पूरा करने के लिए और समय की आवश्यकता है. उन्होंने अदालत को बताया कि सीबीआई ने लगभग 58 संपत्तियों की जांच की है और एक हजार से अधिक गवाहों से पूछताछ की है. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल की है. पीठ ने सीबीआई द्वारा की गई जांच पर संतोष व्यक्त किया और उसे जांच पूरी करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया.

पीठ ने कहा कि हमने पाया है कि रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने 22 नियमित मामले दर्ज करने और इन मामलों की आगे की जांच करने की सिफारिश की है. फिलहाल हमने सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं. सीबीआई तदनुसार नियमित मामले दर्ज करेगी और कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी. जांच प्रक्रिया में अगर सीबीआई को कोई बाधा नज़र आती है, तो वे इस अदालत का रुख करने के लिए स्वतंत्र होंगे. सैकड़ों घर खरीदारों की ओर से पेश हुए वकीलों के एक समूह ने अदालत का ध्यान इस ओर दिलाया कि निचली अदालतें खासकर गुरुग्राम में अभी भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए घर खरीदारों के खिलाफ कठोर आदेश पारित कर रही हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में निर्देश दिया था कि ईएमआई के भुगतान के संबंध में बैंकों या बिल्डरों द्वारा उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा सकती और चेक बाउंस के मामलों में उनके खिलाफ किसी भी शिकायत पर विचार नहीं किया जाएगा.

घर खरीदारों की दलीलें दर्ज करते हुए पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और गुड़गांव के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को जांच करके 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. दरअसल, रियल एस्टेट कंपनियों और बैंकों द्वारा समय पर परियोजना पूरी न करके और उन्हें ईएमआई चुकाने के लिए मजबूर करके गरीब घर खरीदारों को रुलाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके बीच सांठगांठ का पता लगाने के लिए सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

यह देखते हुए कि बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ प्रस्तावित जांच एक व्यापक प्रक्रिया होगी, जिससे लगभग पूरा रियल एस्टेट क्षेत्र जांच के दायरे में आ जाएगा. न्यायालय ने पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख और वकील राजीव जैन से सहायता मांगी थी. अदालत उन हजारों घर खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने एनसीआर की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे और आरोप लगाया था कि डेवलपर्स की अत्यधिक देरी के कारण उन्हें अपने फ्लैटों का कब्जा नहीं मिलने के बावजूद, बैंक उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. सबवेंशन योजना के तहत, बैंक स्वीकृत राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं, जिन्हें तब तक स्वीकृत ऋण राशि पर ईएमआई का भुगतान करना होता है, जब तक कि फ्लैटों का कब्जा घर खरीदारों को नहीं सौंप दिया जाता. जब बिल्डरों ने त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार बैंकों को ईएमआई का भुगतान करने में चूक करना शुरू कर दिया, तो बैंकों ने ईएमआई वसूलने के लिए खरीदारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी.

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