बिहार चुनाव में NDA और इंडिया गठबंधन को प्रशांत किशोर फैक्टर से क्यों लगना चाहिए डर, समझ लीजिए

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर ने पूरी ताकत झोंक रखी है. इस बार के चुनाव में जनसुराज दल की चर्चा खूब हो रही है. राजनीतिक पंडित भी मान रहे हैं कि इस चुनाव में पीके फैक्टर का बड़ा असर होगा. ये असर कैसे होगा और किसपर होगा, आइए समझते हैं.

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  • बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की चर्चा इस बार खूब हो रही है
  • प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी, आरजेडी दोनों को पहुंचा सकती है नुकसान
  • जनसुराज ने चुनाव प्रचार के लिए 70 हजार से ज्यादा वॉलंटियर तैनात किए हैं
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पटना:

बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर अब केवल एक चुनावी रणनीतिकार नहीं रहे, बल्कि खुद एक राजनीतिक समीकरण बदलने वाले किरदार बन चुके हैं. उनकी जनसुराज यात्रा ने गांव-गांव में जो नेटवर्क तैयार किया है, वह 2025 के विधानसभा चुनाव में दोनों बड़े गठबंधनों  NDA और INDIA के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है. PK किसी पारंपरिक राजनीतिक दल के फ्रेम में नहीं फिट होते और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है. 

 
4500 से अधिक सभाएं 

पिछले दो वर्षों में प्रशांत किशोर ने लगभग सभी जिलों में 4500 से अधिक ग्राम सभाएं और हजारों युवाओं से संवाद किया है. उन्होंने खुद को जनता के “विकल्प” के रूप में पेश किया है. ना जाति आधारित राजनीति, न धर्म आधारित, बल्कि “शासन और नीति” पर केंद्रित आंदोलन. यही कारण है कि ऐसा माना जा रहा है कि PK का वोट बैंक किसी एक सामाजिक वर्ग में सीमित नहीं है, बल्कि हर वर्ग के असंतुष्ट मतदाता उनके साथ संवाद में हैं.

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नीतीश कुमार को बता रहे 'थके सीएम'

PK लगातार नीतीश कुमार को ‘थके हुए' मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रहे हैं। वे कहते हैं  “नीतीश कुमार ने बिहार को वहीं ला खड़ा किया है जहां से 2005 में उठाया था.” यह लाइन NDA के कोर वोटर के बीच नीतीश की विश्वसनीयता को कमजोर करती है.  बिहार में भाजपा का बड़ा वर्ग युवा और ऊर्जावान मतदाता है. PK का संवाद सीधे इन्हीं युवाओं को टारगेट करता है. भाजपा जहां “मां-मंदिर-मोदी” की भावनात्मक रेखा पर काम कर रही है, वहीं PK का मुद्दा है “बेरोजगारी, शिक्षा और पलायन”.यह अंतर भाजपा के विकास एजेंडा को कमजोर करता है. PK ने अपनी जनसुराज टीम में पंचायत स्तर पर गैर-राजनीतिक युवाओं और SHG समूहों को जोड़ लिया है. ये लोग NDA के पारंपरिक EBC वोटों में कटौती का कारण बन सकते हैं.
 

इंडिया गठबंधन पर क्या प्रभाव?

INDIA गठबंधन पर PK का प्रभाव क्या पड़ेगा ? INDIA गठबंधन में RJD की ताकत तेजस्वी यादव की “युवा नेता” छवि पर टिकी है. लेकिन PK की साफ-सुथरी, भ्रष्टाचारमुक्त छवि उसी वर्ग को लुभा रही है.तेजस्वी जहां युवाओं को रोजगार का वादा देते हैं, वहीं PK स्थायी नीति परिवर्तन की बात करते हैं  यानी वे वादा नहीं, रोडमैप दिखाते हैं.

PK का “गांव-गांव संवाद” उस निराश मध्यम वर्ग और शिक्षित युवाओं तक पहुंच गया है जो कभी कांग्रेस और CPI (ML) जैसे दलों के समर्थक थे. इस वर्ग में PK की विश्वसनीयता ज्यादा है क्योंकि वे राजनीति में बाहर से आए व्यक्ति हैं, इसीलिए पारंपरिक दलों से मोहभंग वाले मतदाता उनके साथ जा सकते हैं.


 

पीके की कैसी राजनीति 

PK ने धर्म और जाति से परे “गवर्नेंस” पर बात की है, जिससे अल्पसंख्यक वर्ग के भीतर दो मत उभर रहे हैं. एक वर्ग अब यह सोचने लगा है कि RJD या कांग्रेस को वोट देने से उनकी स्थिति नहीं बदली ऐसे में PK एक  विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं. PK की टीम ने पंचायत स्तर पर करीब 70,000 वालंटियर तैयार किए हैं, जो न केवल प्रचार बल्कि डेटा कलेक्शन, समस्याओं का रिकॉर्ड और मुद्दों की प्राथमिकता तय करते हैं. वे डेटा-ड्रिवन माइक्रो टार्गेटिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं यानी हर ब्लॉक के लिए अलग नैरेटिव, अलग वीडियो. वे जातीय समीकरण नहीं, बल्कि “क्षेत्रीय समस्याओं” को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, जैसे शिक्षा संकट, स्वास्थ्य व्यवस्था, बेरोजगारी, और कृषि नीति.
 

प्रशांत कितने होंगे कारगर?

प्रशांत किशोर बिहार के राजनीतिक नैरेटिव को ही बदल रहे हैं, “विकास बनाम वादा”, “संवाद बनाम प्रचार”, और “नीति बनाम जाति” की लड़ाई में. 2025 का चुनाव अगर थर्ड फ्रंट नहीं तो थर्ड माइंडसेट का होगा, तो उसका श्रेय सीधे PK को जाएगा. उनका आंदोलन किसी दल को जिताने या हराने से आगे है, यह बिहार की राजनीति को रीसेट करने का प्रयास है.

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