"सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में असहमति का फैसला " : नोटबंदी को लेकर SC के फैसले पर बोले चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने ट्वीट करते हुए कहा कि “एक बार माननीय सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला दिया तो हम उसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं. हालांकि, यहां यह बताना जरूरी है कि फैसला पूर्ण बहुमत से नहीं आया है.”

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चिदंबरम ने नोटबंदी के फैसले पर दी प्रतिक्रिया.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict on Demonetization) ने केंद्र सरकार के 2018 में किए गए नोटबंदी पर सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया.  पांच जजों की संविधान पीठ ने 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने के मोदी सरकार के फैसले को 4:1 के बहुमत से बरकरार रखा. कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नोटबंदी के प्रभाव पर कुछ नहीं कहा. 

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने ट्वीट करते हुए कहा कि “एक बार माननीय सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला दिया तो हम उसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं. हालांकि, यहां यह बताना जरूरी है कि फैसला पूर्ण बहुमत से नहीं आया है.” 

जस्टिस बी वी नागरत्ना की असहमतिपूर्ण फैसले पर बोलते हुए चिदंबरम ने कहा, “हम खुश हैं कि अल्पमत के फैसले ने नोटबंदी की अमियमितताओं और अवैधता की ओर इंगित किया है. यह सरकार पर के कदम पर एक तमाचा है और यह स्वागत योग्य तमाचा है. असहमति का फैसला सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में प्रसिद्ध असहमति में गिना जाएगा.” 

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NDTV से खास बातचीत में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "एडीएम जबलपुर को याद करें जिन्होंने सरकार की आपातकालीन शक्तियों को बरकरार रखा था. जस्टिस खन्ना द्वारा एक असहमतिपूर्ण निर्णय दिया गया था जो अंततः आज सुप्रीम कोर्ट का बहुमत बन गया. इसी तरह जस्टिस चंद्रचंद के पहले के मामले में दिए गए फैसले को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पलट दिया था." उन्होंने कहा, "यह संभव है कि असहमति वाला फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून बन सकता है."

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चिदंबरम ने कहा, "बहुमत का फैसला न तो बुद्धिमत्ता को बरकरार रखता है और न ही नोटबंदी के लिए निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त किया गया था. हम बिल्कुल स्पष्ट थे कि अदालत भविष्य के कार्यों के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित कर सकती है."

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वहीं, अदालत की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता". उन्होंने कहा, "आप एक प्रक्रिया का पालन करते हैं, लेकिन लक्ष्य हासिल नहीं करते, लोगों को इतनी कठिनाई में क्यों डालते हैं. हम कानून के आगे झुक जाते हैं. अल्पमत के फैसले ने स्पष्ट किया है कि कोई परामर्श नहीं था. यह केंद्र सरकार का एकतरफा फैसला था."

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दरअसल,  नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता. संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया. पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे. 

इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था. इसे गजट नोटिफिकेशन की जगह कानून के जरिए लिया जाना था. हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका सरकार के पुराने फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- नोटबंदी से पहले सरकार और RBI के बीच बातचीत हुई थी. इससे यह माना जा सकता है कि नोटबंदी सरकार का मनमाना फैसला नहीं था. संविधान पीठ ने सरकार के फैसले को सही तो ठहराया, लेकिन बेंच में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसके लिए अपनाई गई प्रोसेस को गलत ठहराया.

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