- मनोरमा खेडकर और उनके पति दिलीप खेडकर एक जमीन विवाद में फंसकर फरार हो चुके हैं और उन पर गंभीर आरोप हैं.
- पुलिस ने मनोरमा के घर से पिस्तौल, कारतूस और लग्जरी कार जब्त की थी, लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
- मनोरमा खेडकर की बेटी पूजा ने विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए कंपनी का पता राशन कार्ड पर दिया था, जो विवाद में है.
पुणे में पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर का फरार होना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वह एक जमीन विवाद मामले में फरार हो चुकी हैं. पुणे के मुलशी तालुका (पौड) में मनोरमा खेडकर और उनके पति दिलीप खेडकर एक जमीन विवाद में फंस गए थे. एक वायरल वीडियो में मनोरमा खेडकर एक किसान को पिस्तौल दिखाकर धमकाती हुई नजर आई थीं.
इस घटना के बाद पौड पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और मनोरमा के घर से एक लग्जरी कार, लाइसेंसी पिस्तौल और तीन कारतूस जब्त किए. कुछ समय फरार रहने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. उन पर किसान को पिस्तौल से धमकाने, जबरन जमीन पर कब्जा करने की कोशिश और पुलिस जांच में सहयोग न करने के आरोप थे.
NDTV की टीम पुणे के पिंपरी-चिंचवाड़ भी पहुंची, जहां खेडकर परिवार की कंपनी है, यहां सुरक्षा में तैनात सुरक्षा गार्ड्स से हमने खेडकर परिवार की जानकारी लेने की कोशिश की. ये वही थर्मो वेरिटा कंपनी है जिसका पता मनोरमा खेडकर की बेटी पूजा खेडकर ने अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए दिया था.
विवादास्पद IAS ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर ने विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए पहचान पत्र के तौर पर अपना राशन कार्ड दिया था. राशन कार्ड पर इसी थर्मोवेरिटा कंपनी का पता था, मामले में कंपनी को जब्ती नोटिस भी जारी किया गया था.
सामाजिक कार्यकर्ता और RTI एक्टिविस्ट विजय कुंभार ने कहा कि मनोरमा खेडकर और उनके पति दिलीप खेडकर अभी भी फरार हैं. पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का मौका था. लेकिन पुलिस ने वो मौका गंवा दिया. जब नवी मुंबई की रबाले पुलिस और पुणे की चतुश्रृंगी पुलिस की टीम उनके घर पहुंची, तो अंदर वह व्यक्ति भी था जिसका अपहरण किया गया था. वह व्यक्ति बाहर आया और जिस गाड़ी से उनका अपहरण किया गया था, वह गाड़ी भी अंदर थी. जिसका अपहरण हुआ था, वह व्यक्ति बता रहा था कि जिन्होंने मुझे अपहरण किया, वो दोनों अंदर हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार के अनुसार, मनोरमा खेडकर के मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं. विजय कुंभार ने बताया कि घटना के बाद जब पुलिस मनोरमा खेडकर के घर पहुँची तो उन्होंने पुलिस को अंदर नहीं आने दिया और 3 बजे पुलिस स्टेशन आने का वादा किया. कुंभार के मुताबिक, यह समझ से बाहर है कि पुलिस ने उन्हें यह अनुमति क्यों दी, जबकि वारदात में इस्तेमाल हुई गाड़ी और आरोपी दोनों घर के अंदर ही थे. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय समय दे दिया. इसी का फायदा उठाकर मनोरमा खेडकर अपने पति और बॉडीगार्ड के साथ फरार हो गईं.
विजय कुंभार ने खेडकर परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं:
- जांच एजेंसियों पर सवाल: कुंभार ने कहा कि खेडकर परिवार के खिलाफ नासिक और अहमदनगर में एसीबी की कुछ शिकायतें थीं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उनकी अकूत संपत्ति को देखते हुए, कुंभार ने सवाल उठाया कि क्यों ईडी, सीबीआई और आईटी जैसी एजेंसियां उनके पीछे नहीं पड़तीं, जबकि पुलिस के पास भी उनकी संपत्ति की पूरी जानकारी है. इनमें से कई संपत्तियाँ उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में भी दिखाई हैं.
- प्रशासनिक और राजनीतिक पहुंच: कुंभार ने बताया कि मनोरमा के दादाजी डिप्टी कलेक्टर और पिताजी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में थे, जहाँ से उन्होंने कथित तौर पर संपत्ति जमा की. उनकी प्रशासनिक और राजनीतिक पहुँच इतनी मजबूत है कि उन्हें लगता है कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
- भाई पर आरोप: कुंभार के मुताबिक, मनोरमा के भाई के खिलाफ भी अहमदनगर में गंभीर मामले दर्ज हैं और उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी है. इसके बावजूद, उन्हें पिछले 4 साल से गिरफ्तार नहीं किया गया है.
- पुलिस पर मिलीभगत का आरोप: विजय कुंभार ने सीधे तौर पर पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाया है. उन्होंने पूछा कि जब आरोपी सामने थी, तो पुलिस ने उसे क्यों छोड़ा और किस वजह से सहूलियत दी? कुंभार ने आरोप लगाया कि पुलिस जानती है कि ये "बड़े लोग" हैं और इन्हें हाथ लगाने पर मुश्किल होगी.
- मांग: विजय कुंभार ने मांग की है कि खेडकर परिवार की सभी संपत्तियों की जांच हो, सभी मामलों को एक साथ लाया जाए और जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपी जाए, क्योंकि उन्हें पुणे और महाराष्ट्र पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं है.