सुप्रीम कोर्ट ने हाल में सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को पुराने आदेशों की प्रतियां भेजते हुए सख्त चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के मामले में पुलिस अधिकारियों को अपनी हद में रहने को कहा है. सर्वोच्च अदालत की इस चेतावनी का आम लोगों पर क्या असर होगा? इसपर NDTV सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आरके सिंह से बात की. सीनियर वकील आरके सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की यह चेतावनी पुलिस अधिकारियों के लिए कितनी सख्त हैं?
गिरफ्तारी करें लेकिन कानून के हिसाब से...
देश की सबसे बड़ी अदालत ने पूरे देश की पुलिस को यह चेतावनी दी है कि गिरफ्तारी करें लेकिन कानून के हिसाब से. इस मामले में सीनियर वकील आरके सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की यह चेतावनी स्वागतयोग्य कदम है. कई जगहों से पुलिस अधिकारों के बेझा इस्तेमाल की खबरें भी सामने आती रही हैं.
पहला मामला एके बासु बनाम राज्य
इस मामले में सबसे पहला केस 1997 में एके बासु बनाम राज्य का मामला आया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को लेकर कई गाइडलाइन दी थी. लेकिन इस गाइडलाइन के रहने के बाद भी पुलिस गिरफ्तारी के मामले में कई बार इसे नहीं मानती.
गाइडलाइन टूटे तो डीजीपी पर अवहेलना का मामला बनेगा
सीनियर वकील ने यह भी कहा कि जीरो टॉलरेंस होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के डीजीपी को अपनी चेतावनी दी है. सीनियर वकील ने बताया कि यदि इस चेतावनी के बाद भी यदि कहीं से पुलिस अधिकारों के बेझा इस्तेमाल की बात सामने आती है तो डीजीपी पर अदालत की अवहेलना का मामला बनेगा.
7 साल तक की सजा वाले मामलों में आनन-फानन में गिरफ्तारी नहीं
7 साल तक की सजा वाले प्रावधान वाले धाराओं में आरोपियों को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाए, तब तक की आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा हो. सीनियर वकील आरके सिंह ने बताया कि अरुणेश कुमार के जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि 7 साल तक की सजा वाले प्रावधानों में आनन-फानन में गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस तसल्ली से जांच करें, आरोपी को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दें.
अपराधी के साथ दरिंदों जैसा व्यवहार नहीं कर सकतेः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर पुलिस को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी अपनी हद में रहें. हर नागरिक के पास अधिकार हैं. हरियाणा के एक मामले में SC ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को चेतावनी दी है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने साफ कहा कि अपराधी के साथ दरिंदों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते. कानून का सम्मान होना चाहिए. किसी को भी शारीरिक यातना नहीं दे सकते.
हरियाणा के एक मामले में पुलिस को दी चेतावनी
मालूम हो कि हरियाणा ने पड़ोसी के साथ हुए झगड़े के लिए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने और हिरासत में उसके साथ कथित तौर पर मारपीट करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही है. इस मामले में कोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था.
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कोर्ट के कई फैसलों के बावजूद देश भर में पुलिस लोगों की नियम विरुद्ध गिरफ्तारी करती है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस लोगों को अपनी ताकत का धौंस दिखाने से बचे.