मणिपुर: नहीं थम रहा मैतेई-कुकी विवाद, अब 'पवित्र' पहाड़ी पर क्रॉस-झंडे को लेकर विवाद; केस दर्ज

मोइरांग विधायक थोंगम शांति का कहना है कि कैमरे और ड्रोन फुटेज से पता चलता है कि पहाड़ी वाली जगह को क्रॉस और फ्लैग लगाकर अपवित्र कर दिया गया है.  

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पहाड़ी के ऊपर क्रॉस और एक सामुदायिक फ्लैग लगाने पर बवाल

मणिपुर के मोइरांग शहर के पास एक पहाड़ी के ऊपर क्रॉस और एक सामुदायिक फ्लैग लगे होने से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच काफी विवाद खड़ा हो गया है. राजधानी इंफाल से 60 किमी दूर इस झील के किनारे के जिले के रहने वाले मैतेई इसे अपना पवित्र स्थल मानते हैं. मोइरांग का मैतेई समुदाय थांगजिंग पहाड़ी को अपने देवता इबुधौ थांगजिंग का तीर्थ स्थल मानता और वहां प्रार्थना के लिए जाता है. इस समुदाय का मानना है कि थांगजिंग पहाड़ी वाली जगह करीब 2,000 साल पुरानी है. इस जगह को अब क्रॉस और फ्लैग लगाकर पवित्र किया जा रहा है. 

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थांगजिंग पहाड़ी पर अतिक्रमण का आरोप

दिसंबर 2015 में मणिपुर की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के थांगटिंग का नाम बदलने से समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया था. मोइरांग के रहने वाले एक शख्स ने एनडीटीवी को बताया कि पहली बार कथित अतिक्रमण 11 सितंबर को कैमरे पर देखा गया था. नाम न छापने की शर्त पर उसने कहा कि एक विद्रोही समूह वाला झंडा भी अब हटा दिया गया है, हालांकि क्रॉस अभी भी पहाड़ी पर लगा हुआ है. 

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हालांकि इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुएलज़ोंग ने मैतेई समुदाय के पवित्र स्थल पर किसी भी अतिक्रमण से इनकार किया है. वुआलोंग ने एनडीटीवी से कहा है कि मोइरांग के लोगों के पवित्र स्थल पर अतिक्रमण नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि क्रॉस ईसाई धर्म का प्रतीक है. इसे यहां पर चर्च और घरों समेत कई जगहों पर देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि थांगटिंग रेंज पर क्रॉस लगाना नॉर्मल बात है और यह हमारी आस्था है. उन्होंने कहा कि किसी की भी जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया गया है, इसीलिए उनकी नजर में यह कोई मुद्दा ही नहीं है.

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'क्रॉस-फ्लैग लगाना पहाड़ी का अपमान'

हालांकि, एसोसिएशन ऑफ मेइटिस इन द अमेरिका (एएमए) समेत कई सिविल सोसायटी ग्रुप ने सरकार से थांगजिंग पहाड़ी से कथित अतिक्रमण को हटाने की अपील की है. उन्होंने बयान में कहा कि थांगजिंग पहाड़ी पर क्रॉस और झंडा लगाना, पहाड़ों पर मौजूद दूसरे धर्मिक स्थलों जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, या अमरनाथ मंदिर जैसे पवित्र स्थलों के अपमान के समान होगा. इसीलिए यह गंभीर मामला है. 

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थांगजिंग पहाड़ी रेंज मोइरांग और चुराचांदपुर जिलों के बीच 40 किमी की दूरी पर है. चुराचांदपुर वही जगह है, जहां पर कुकी जनजातियों और मैतेई  समुदाय के बीच 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी. मैतेई समुदाय के लोग अपने देवता इबुधौ थांगजिंग को इस क्षेत्र का संरक्षक मानते हैं.  मोइरांग विधायक थोंगम शांति का कहना है कि कैमरे और ड्रोन फुटेज से पता चलता है कि पहाड़ी वाली जगह को क्रॉस और फ्लैग लगाकर अपवित्र कर दिया गया है. उनका आरोप है कि क्रॉस और झंडा उसी जगह पर लगाया गया है, जहां पर देवता इबुधौ थांगजिंग का मंदिर है. हालांकि वुअलज़ोंग ऐसी किसी भी बात से इनकार कर रहे हैं. 

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क्रॉल-फ्लैग लगाए जाने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज

 वुएलज़ोंग का कहना है कि मोइरांग के लोगों का थांगजिंग पहाड़ी के ऊपर विद्रोही समूह का झंडा लगाने वाला आरोप बिल्कुल झूठ है.उन्होंने कहा कि वहां लगा झंडा ZRA का नहीं है बल्कि यह ज़ोमी या सामुदायिक फ्लैग है.कोबरू और थांगजिंग पर्वत रेंज की सुरक्षा को लेकर मोइरांग समिति ने कथित अतिक्रमण पर पहली रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई है. समिति का आरोप है कि कुकी छात्र संगठन ने पिछले साल मई में मोइरांग के लोगों से कहा था कि अगर वे पहाड़ी पर मौजूद मंदिर में पूजा करना चाहते हैं तो उनको उनकी अनुमति लेनी होगी. इस बात से दोनों समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया है.पहाड़ी पर मौजूद इबुधौ थांगजिंग का मंदिर पहले मोइरांग घाटी से नहीं दिखाई देता था, लेकिन वनों की कटाई के बाद यह दूरबीन से आसानी से देखा जा सकता है. 

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