पीएम मोदी के दो कॉल से यूक्रेन के सुमी में फंसे भारतीय स्‍टूडेंट्स को निकालने का रास्‍ता हुआ साफ....

न्‍यूज एजेंसी ANI ने एक अधिकारी के हवाले से बताया, 'यह बेहद मुश्किल और खतरनाक स्थिति थी. सोमवार को इन स्‍टूडेंट्स को शिफ्ट करने का प्रयास नाकाम होने के बाद खतरा काफी बढ़ गया था.'

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
सुमी में फेंसे 650 से अधिक भारतीय स्‍टूडेंट्स को सुरक्षित निकाल लिया गया
नई दिल्‍ली:

Russia-Ukraine War: कई दिनों की अनिश्चितता की स्थिति और बातचीत के बाद आखिरकार युद्धग्रस्‍त यूक्रेन के सुमी शहर में फेंसे 650 से अधिक भारतीय स्‍टूडेंट्स को सुरक्षित निकाल लिया गया. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)के रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन और यू्क्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्‍की को किए गए फोन कॉल्‍स की छात्रों के निकाले जाने में अहम भूमिका रही. सुमी में भारी गोलाबारी और फायरिंग के बीच इन स्‍टूडेंट्स ने SOS वीडियो भेजे थे लेकिन भारतीय अधिकारी इनके लिए सुरक्षित रास्‍ते (safe passage) की व्‍यवस्‍था करने में असमर्थ थे. इन स्‍टूडेंट्स ने वीडियो में कहा था कि इनके पास का खाना और पानी खत्‍म होता जा रहा है, यहां तक कि सरकार की ओर से कोई व्‍यवस्‍था न होने पर उन्‍होंने खुद ही शहर छोड़ने की धमकी दी थी.

न्‍यूज एजेंसी ANI ने एक अधिकारी के हवाले से बताया, 'यह बेहद मुश्किल और खतरनाक स्थिति थी. सोमवार को इन स्‍टूडेंट्स को शिफ्ट करने का प्रयास नाकाम होने के बाद खतरा काफी बढ़ गया था.' ऐसे में पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्‍ट्रपति से बात की और दोनों नेताओं ने इन स्‍टूडेंट्स के लिए सुरक्षित रास्‍ता देने का आश्‍वासन दिया. एक अधिकारी के हवाले से समाचार पत्र इंडियन एक्‍सप्रेस ने लिखा, 'दोनों फोन कॉलस में नेताओं ने ग्रीन सिग्‍नल देते हुए पीएम मोदी को बताया कि 'सुरक्षित रास्‍ता' देने में उन्‍हें कोई समस्‍या नहीं है.'

अखबार के मुताबिक, इन कॉल्‍स के बाद मॉस्‍को औार कीव के अधिकारियों को मानवीय गलियारा (Humanitarian corridor) बनाने का निदेश दिया गया. मंगलवार को इन स्‍टूडेंट्स को सुमी से बस से निकालकर मध्‍य यूक्रेन के पोल्‍तवा पहुंचाया गया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी इस मामले में अपने रूसी, यूक्रेनी और पड़ोसी देशों के समकक्षों से संपर्क में थे. एएनआई के अनुसार, स्‍टूडेंट्स को निकालने के लिए भारत ने जेनेवा और यूक्रेन में रेडक्रॉस से भी बात की. इसने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि युद्ध प्रभावित क्षेत्र में बस 'हायर' करना किसी चुनौती से कम नहीं था क्‍योंकि यूक्रेनी ड्राइवर रूस की ओर जाने के लिए तैयार नहीं थी. आखिरकार जब रूस ने विदेशी छात्रों के लिए मानवीय गलियारा (Humanitarian corridor) खोला तो सुमी से स्‍टूडेंट्स को बाहर निकाला गया. ANI के अनुसार उन्‍हें खतरे के क्षेत्र (danger zone) को पार करने तक चुप्‍पी साधने को कहा गया था.

Advertisement

- ये भी पढ़ें -

* Ukraine में Russia के टैंकों पर "Z" लिखे होने का क्या मतलब है?
* अफसर ने स्वीकार की 'चूक' : अखिलेश यादव की पार्टी ने EVM विवाद पर शेयर किया VIDEO
* 'Goa Election: गोवा का गजब रिकॉर्ड, 5 सालों में आधे से ज्यादा विधायकों ने दिया इस्तीफा या बदली पार्टी

Advertisement

VIDEO: बच्‍चे भी झेल रहे युद्ध की विभीषिका, 11 साल का बच्‍चा 1000 किमी का सफर कर पहुंचा स्‍लोवाकिया

Advertisement
Featured Video Of The Day
PM Modi में वैश्विक शांतिदूत बनने के सभी गुण: Former Norwegian minister Erik Solheim
Topics mentioned in this article