PM मोदी जब डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे तो किन विषयों पर होगी चर्चा, क्या परमाणु ऊर्जा पर बनेगी बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण पर अमेरिका जा रहे हैं. ट्रंप के दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका का दौरा करने वाले पीएम मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिन की विदेश यात्रा पर आज रवाना हुए. यात्रा के पहले चरण में वो सोमवार को फ्रांस पहुंचेंगे. वो पेरिस में होने वाले एआई समिट में शामिल होंगे. फ्रांस में दो दिन रुकने के बाद वो अमेरिका के लिए रवाना होंगे. अमेरिका में उनका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, तकनीकी और कारोबार की दुनिया के दिग्गजों और भारतवंशीय से मिलने का कार्यक्रम है. डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात होगी. मोदी और ट्रंप की यह मुलाकात भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाने की चेतावनियों और 100 से अधिक भारतीयों के अमेरिका से निर्वासन के बाद हो रही है. इन घटनाओं से दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ी तल्खी महसूस की जा रही है. उम्मीद है कि इस यात्रा के बाद इस तल्खी में कमी आएगी.

पीएम मोदी को अमेरिका आने का निमंत्रण किसने दिया है

पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के निमंत्रण पर वहां जा रहे हैं. ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के तीन हफ्ते के भीतर ही भारतीय प्रधानमंत्री को अमेरिका आमंत्रित किया. यह निमंत्रण यह दिखाता है कि अमेरिकी के लिए भारत कितना जरूरी है और दोनों नेताओं के रिश्ते कितने प्रगाढ़ हैं.ट्रंप के 20 जनवरी से शुरू हुए दूसरे कार्यकाल में अमेरीका का दौरा करने वाले पीएम मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं. उनसे पहले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका की यात्रा की थी. पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान व्यापार, निवेश, टेक्नोलॉजी, रक्षा सहयोग, एशिया-प्रशांत में सुरक्षा की स्थिति और आतंकवाद से मुकाबले और लोगों के परस्पर संबंधों पर चर्चा होने की उम्मीद है. उम्मीद है कि पीएम मोदी के यात्रा के अंत में दोनों देश एक साझा बयान जारी करें. 

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इस यात्रा के दौरान भारत की कोशिश होगी कि ट्रंप प्रशासन से टैरिफ में थोड़ी रियायत मिले और अमेरिकी से कुछ रक्षा उत्पाद हासिल किए जाएं. इसके अलावा परमाणु ऊर्जा सहयोग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सहयोग भी दोनों नेताओं के एजेंडे में होगा.

अमेरिका से क्या हासिक करना चाहता है भारत

पहली फरवरी को पेश आम बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त करने के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन के शुरुआत की घोषणा की थी. इसके तहत भारत घरेलू परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने और लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) जैसी उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जाएगा. बजट में सरकार ने मिशन के लिए 20 हजार करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं. भारत का लक्ष्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिजाइन और परिचालन एसएमआर विकसित करना है. पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा इस मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते काफी प्रगाढ हैं.

भारत का अमेरिका के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध है. भारत, अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. दोनों देशों के बीच 21-22 में 119.42 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. भारत अमेरिका से पेट्रोलियम, कच्चा हीरा, एलपीजी, और सोने का आयात करता है.वहीं अमेरिका भारत से पेट्रोलियम, पॉलिश किए गए हीरे, दवाएं, जेवरात और फ्रोजन झींगों का आयात करता है.भारत ने अमेरिका से 20 अरब डॉलर की रक्षा खरीद की है. पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप के पूर्ववर्ती जो बाइडेन से उनके कार्यकाल के दौरान अलग-अलग मौकों पर नौ बार मुलाकात की थी. इनमें सात आमने-सामने की मुलाकातें शामिल हैं.  

पीएम मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के साथ एक द्विपक्षीय बैठक करेंगे. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. हाल के सालों में भारत-अमेरिका संबंधों में मजबूती आई है. पीएम मोदी की यह यात्रा भारत-अमेरिका साझेदारी को आगे बढ़ाने में सार्थक प्रयास साबित होगी.पीएम मोदी ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका का दौरा किया था. ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्हें सबसे पहले बधाई देने वाले नेताओं में पीएम मोदी शामिल थे. इस साल 20 जनवरी को वाशिंगटन में आयोजित राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से मुलाकात की थी. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते हफ्ते गुरुवार को अपने अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ से फोन पर चर्चा की थी. इस दौरान दोनों नेता रक्षा सहयोग बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति बनाए रखने पर चर्चा की थी. 

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