ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों की ओर से बढ़ रहे चक्रवात को लेकर केंद्र ने तैयारियां तेज कर कर दी हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अफसरों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर तैयारियों की समीक्षा की और उन्हें निर्देश दिए. इन निर्देशों में जरूरत के अनुसार प्रभावित क्षेत्र को खाली कराने, आवश्यक सेवाओं की बहाली और तबाही की नौबत आने पर तेजी से बहाली संबंधी निर्देश शामिल हैं. मौसम विभाग ने बंगाल के खाड़ी में दबाव के क्षेत्र के बनने और इसके ओडिशा और आंध्र की ओर बढ़ने की चेतावनी जारी की है. यदि यह दबाव का क्षेत्र चक्रवाती तूफान में तब्दील होता है तो इसे जवाद (Jawad)का नाम दिया जाएगा. सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सभी मंत्रालय और संबंधित एजेंसियां, स्थिति का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं .
प्रभावित राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित क्षेत्र अंडमान-निकोबार द्वीप में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) की 62 टीमों की तैनाती की गई है, इसमें से 29 टीमें बोट, पेड़ों को काटने वाले साजोसामान और टेलीकॉम उपकरणों से लैस होंगी जबकि शेष standby के तौर पर रहेंगी.बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गाउबा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. बैठक में प्रधानमंत्री के समक्ष चक्रवात की वर्तमान स्थिति और इसके संभावित असर के बारे में एक प्रस्तुति के जरिए जानकारी दी गई.
गौरतलब है कि ऐसी आशंका जताई गई है कि चक्रवात आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों को प्रभावित कर सकता है.भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का अनुमान है कि एक चक्रवाती तूफान शनिवार की सुबह आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्रों में पहुंच सकता है. ओडिशा सरकार ने राज्य के 13 जिलों के जिलाधिकारियों को लोगों को तटीय इलाकों से बाहर निकालने और राहत व बचाव कार्य के लिए तैयार रहने को कहा है.